India china, India china faceoff : लद्दाख सीमा पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनाव के बाद चीन अंतराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा झटका लगा है. बताया जा रहा है कि चीन से अंतराष्ट्रीय स्तर पर बाजार आधारित अर्थव्यवस्था का दर्जा छीन लिया गया है. इस फैसले के बाद चीन की यूरोपीय यूनियन के बाजार में दखलअंदाजी कम होगी.
न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार यूरोपीय यूनियन ने चीन के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें चीन ने खुद को बाजार आधारित अर्थव्यवस्था करार दिया था. चीन को यह झटका ऐसे वक्त लगा है, जब कोरोनावायरस के कारण उसकी वित्तीय व्यवस्था चौपट हो गई है.
क्या होगा नुकसान– यूरोपीय यूनियन के इस फैसले से चीन को भारी नुकसान पहुंच सकता है. उसके निर्यात की क्षमता कम हो सकती है. बताया जा रहा है कि इस फैसले के बाद चीन सागर आने वाले सामान पर यूरोपीय यूनियन निर्यात टैक्स बढ़ा सकता है, इसके अलावा निर्यात की सीमा भी तय कर सकता है.
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सीमा पर तनातनी बरकरार- भारत और चीन सीमा पर तनातनी बरकरार है. दोनों देश के बीच यह विवाद तकरीबन एक हफ्ते से चल रहा है. विवाद की शुरूआत 15-16 जून की दरम्यानी रात शुरू हुई. इस विवाद में दोनों ओर से हिंसक झड़पें हुई, जिसमे भारत की ओर से 20 जवान शहीद हुए, जबकि चीन के भी 40 सेअधिक जवान हताहत होने की खबर आई,
क्याा है विवाद- भारत-चीन सीमा पर बहने वाली गलवन नदी की घाटी को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद है.. गलवान घाटी पर ही भारत और चीन के बीच जंग हुआ था. गलवान घाटी लेह से नजदीक है, जो भारत के कब्जे में आती है.
गलवान घाटी में पिछले एक महीने से तनातनी चल रही थी. इस तनातनी की शुरू आत भारत द्वारा बनाए जा रहे एक सड़क को लेकर शुरू हुई. भारत गलवान घाटी के डुरबुक से लेकर दारूल बेग ओल्ड तक सड़क का निर्माण करा रही है. चीन का कहना है कि यह क्षेत्र उसके हिस्से की है. बता दें कि दारूल बेग ओल्ड भारत के अक्साई चीन के इलाके से लगा है, जिसे चीन ने कब्जा कर लिया है.
Posted By: Avinish Kumar Mishra