India china border clash, india china border dispue, india china face off: 15 जून को गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद मोदी सरकार ने चीन को लेकर अपनी नीतियां सख्त करनी शुरू कर दी हैं. उधर चीन का सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स भारत के खिलाफ प्रोपगेंडा में जुटा हुआ है. एलएसी पर भारतीय सशस्त्र बलों को छूट दिन जाने के मसले पर चीन की इस सरकारी मीडिया ने लिखा है कि इससे दोनों देशों के बीच चल रही सैन्य वार्ता में बाध उत्तन्न होगी.
अखबार ने लिखा है कि दोनों देशों में झड़प के बाद अगर भारत की ओर से गोलीबारी होती है तो सीमा पर नजारा दूसरे तरह का होगा. लिखा गया है कि जब झड़प में भारतीय सैनिक चीन के जवानों को नहीं पाए तो गोली चलाकर वो क्या जीतेंगे. इसका कारण ये है कि चीन की सेना भारत की सेना से से ज्यादा एडवांस और मजबूत है. चीन के सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि अगर दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ता है तो भारत को एक बार फिर 1962 की तरह पराजय का सामना करना पड़ेगा.
उनका कहना है कि भारत के साथ सैन्य टकराव कभी भी चीन की प्राथमिकता नहीं रही है इसलिए भारत सीमा पर कम सैनिक तैनात हैं। अगर वहां संघर्ष बढ़ता है तो चीन की सेना भारत की सेना पर हर मोर्चे पर भारी पड़ेगी.र्वी लद्दाख सीमा पर चीन और भारत की सेनाएं पिछले कई हफ्तों से आमने-सामने है. गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेना में 15 जून को हिंसक झड़प हुई थी. इसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के कई सैनिक घायल हुए थे. हालांकि चीन ने मारे गए अपने सैनिकों की संख्या के बारे में कोई सार्वजनिक जानकारी साझा नहीं की.
इसी बीच रविवार को भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को सीडीएस सहित अन्य अधिकारियों के साथ हाई लेवल बैठक की. बैठक के बाद सूत्रों के हवाले से खबर आयी कि अब एलएसी पर चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों को अनुमति दे दी गयी है. सीमा पर सैन्यगतिविधियां तेज हैं. तीनों सेना अलर्ट पर है.
गलवान घाटी में खूनी झड़प के तुरंत बाद अग्रिम मोर्चों के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में एलएसी पर अतिरिक्त सैन्य टुकड़ियां भेजी जा चुकी हैं. भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में तैनाती बढ़ा रही है ताकि चीन को कड़ा संदेश पहुंच सके.
Posted By: Utpal kant