आज वर्ल्ड म्यूजिक डे यानी विश्व संगीत दिवस है. फ्रांस में 1982 में 21 जून को आधिकारिक तौर पर संगीत दिवस मनाने की शुरुआत हुई. इसके बाद यह दिन पूरे विश्व में मनाया जाने लगा. संगीत दुनिया की हर संस्कृति का अहम हिस्सा है. संगीत उत्सव का साथी है, तो निजता का भी. संगीत में जब करियर की बात होती है, गायक, संगीतकार, गीतकार, शास्त्रीय गायक, सितार वादक, तबलावादक, गिटारिस्ट या अन्य वाद्य यंत्रों के संचालक, संगीत शिक्षक आदि के तौर पर आगे बढ़ने के विकल्प सामने होते हैं. लेकिन, संगीत से जुड़ा एक और बेहतरीन करियर विकल्प है संगीत चिकित्सा यानी म्यूजिक थेरेपी.
संगीत के किया जाता है कई रोगों का इलाज
म्यूजिक थेरेपी एक अलाइड हेल्थ प्रोफेशन है, जिसमें संगीत का उपयोग शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, संज्ञानात्मक और सामाजिक जरूरतों को पूरा करने के लिए चिकित्सीय तरीके से किया जाता है. संगीत चिकित्सा संचार का माध्यम बनती है, खासतौर पर पर ऐसे लोगों के लिए, जिन्हें शब्दों में खुद को व्यक्त करना मुश्किल लगता है. हेल्थकेयर पेशेवर बतौर म्यूजिक थेरेपिस्ट भावनात्मक या मानसिक परेशानियों से ग्रस्त व्यक्तियों की मदद के लिए संगीत का उपयोग करते हैं.
म्यूजिक थेरेपिस्ट यानी संगीत चिकित्सक विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के साथ विशेष शिक्षण वातावरण, जेरिएट्रिक सेंटर, हॉस्पिटल, यूनिवर्सिटी एवं रिसर्च सेंटर सहित विभिन्न प्रकार की सेटिंग्स में काम करते हैं. म्यूजिक थेरेपी मानसिक विकार, शारीरिक अक्षमता, मनोरोग संबंधी समस्या, बोलने और सुनने में असमर्थता, अल्जाइमर, कैंसर और अन्य कई बीमारियों से उबरने में मददगार होती है. म्यूजिक थेरेपिस्ट संगीत और इसकी सभी विशेषताओं का उपयोग करते हैं, ताकि रोगियों को उनके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिल सके.
म्यूजिक थेरेपी मस्तिष्क और मोटर एक्टिविटी को बढ़ावा देने में भी मदद करती है. इसके साथ ही इसका इस्तेमाल तनाव व अवसाद को रोकने, दर्द को कम करने, स्मृति को बढ़ाने, संचार में सुधार करने और बातचीत के लिए किया जाता है. म्यूजिक थेरेपी इस विचार पर आधारित है कि संगीत संचार का एक सार्वभौमिक रूप है, जिससे हर कोई जुड़ सकता है, चाहे उसकी पृष्ठभूमि या परिस्थितियां कुछ भी हों. संगीत सुनने, बजाने से लेकर लिखने तक सभी अनुभवों को संगीत चिकित्सा में शामिल किया जाता है.
संस्थान व कोर्स के बारे में जानें
संगीत चिकित्सक बनने के लिए संगीत की अच्छी समझ के साथ संगीत से प्यार होना भी जरूरी है. हमारे देश में यह एक नया और उभरता हुआ कार्यक्षेत्र है, इसलिए अभी देश के कुछ चुनिंदा संस्थान ही म्यूजिक थेरेपी की पढ़ाई कराते हैं. म्यूजिक थेरेपी का कोर्स करने के लिए कम से कम ग्रेजुएट होना जरूरी है. इसके बाद आप इसमें डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स कर करियर बना सकते हैं.
कोर्स : एडवांस लेवल म्यूजिक थेरेपी कोर्स, सर्टिफिकेट इन म्यूजिक थेरेपी, सर्टिफिकेट इन म्यूजिक थेरेपी (कॉरेस्पोंडेंस), पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन क्लीनिकल म्यूजिक थेरेपी, प्रोफेशनल पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन म्यूजिक थेरेपी.
संस्थान : महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, पुडुचेरी, इंडियन एसोसिएशन ऑफ म्यूजिक थेरेपी, दिल्ली, चेन्नई स्कूल ऑफ म्यूजिक थेरेपी, चेन्नई, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल म्यूजिक थेरेपी, चेन्नई, श्री बालाजी विद्यापीठ, पुडुचेरी, म्यूजिक थेरेपी ट्रस्ट, दिल्ली.
प्रीति सिंह परिहार
Posted By: Budhmani Minj