पटना : राज्य सरकार ने 13 हजार 64 किलोमीटर की लंबाई में बनी 14 सौ मुख्य सड़कों की गुणवत्ता की जांच शुरू कर दी है. शनिवार से आरंभ हुई जांच में अधिकारियों की 73 टीमें लगायी गयी हैं. करीब डेढ़ सौ इंजीनियरों की टीम ने इसकी शुरूआत राजगीर में स्टेट हाइवे से कर दी है. जिन सड़कों की स्थिति मानक के अनुसार खराब पायी जायेगी, उस सड़क को बनाने वाले ठेकेदार नपेंगे. दोषी ठेकेदारों पर भारी आर्थिक दंड लगाया जा सकता है. पथ निर्माण विभाग ने सड़क मेंटेनेंस पॉलिसी (ओपीआरएमसी) के तहत सड़कों के बेहतर रखरखाव और उन्हें मॉनसून के दौरान बेहतर स्थिति में बनाये रखने के लिए निरीक्षण शुरू किया है. इसका मकसद सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी लानी है.
73 निरीक्षण दल का हुआ है गठन, 25 जून तक चलेगा निरीक्षण
अमृत लाल मीणा ने बताया कि राज्य की इन सड़कों के निरीक्षण के लिए इंजीनियरों के 73 निरीक्षण दल बनाये गये हैं. प्रत्येक दल में दो-दो इंजीनियर शामिल हैं. सड़कों के निरीक्षण का यह काम 25 जून तक चलेगा. सभी दलों को यह निर्देश दिया गया है कि प्रत्येक सड़क में वे पांच किलोमीटर तक वाहन से और छठे किलोमीटर में पैदल चलेंगे. वे सड़कों के सतह की स्थिति का आकलन तो करेंगे ही, साथ ही सड़क सुरक्षा से संबंधित किये गये जरूरी उपायों का भी निरीक्षण करेंगे. उनकी रिपोर्ट के आधार पर दोषी ठेकेदारों पर अर्थदंड लगाया जायेगा. विभाग के स्तर से इस कार्यक्रम की मॉनिटरिंग की जा रही है.
सड़क दुर्घटनाओं में आयेगी कमी
पथ निर्माण विभाग के सूत्रों का कहना है कि सड़कों की बेहतर स्थिति बनाने का बड़ा मकसद यातायात की व्यवस्था को बेहतर बनाना और सड़क दुर्घटनाओं को रोकना है. राज्य में प्रत्येक साल विभिन्न सड़क हादसों में करीब 4000 से 4500 लोगों की मौत हो जाती है. यहां आंकड़ा शराबबंदी के बाद का है. भूतल सड़क परिवहन मंत्रालय की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में सड़क दुर्घटनाओं में 4901 मौतें हुईं. वहीं वर्ष 2015 में बिहार में सड़क दुर्घटनाओं में 5421 मौतें हुई थीं. 2015 में शराबबंदी लागू हुई थी.