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दिव्यांग झेल रहे परेशानी, ट्राइसाइकिलें खा रहीं जंग

सामाजिक सुरक्षा के तहत विकलांगों को ट्राइसाइकिल देने का प्रावधान है. पैरों से चलने से लाचार विकलांगों के लिए महीनों पूर्व आयी ट्राइसाइकिल सोगरा हाइस्कूल के बरामदे में जंग खा रही है, परंतु विकलांगों को नहीं दी जा रही है.

आरा : सामाजिक सुरक्षा के तहत विकलांगों को ट्राइसाइकिल देने का प्रावधान है. पैरों से चलने से लाचार विकलांगों के लिए महीनों पूर्व आयी ट्राइसाइकिल सोगरा हाइस्कूल के बरामदे में जंग खा रही है, परंतु विकलांगों को नहीं दी जा रही है. ट्राइसाइकिल लेने वाले योग्य विकलांगों के चयन की प्रक्रिया काफी जटिल है, जिसमें समय काफी लगता है. तब तक ट्राइसाइकिल वितरण होने के पूर्व ही जंग लग जाता है.

विकलांगों का चयन मेडिकल जांच के बाद प्रखंडस्तर पर किया जाता है, जिसकी सूची सामाजिक सुरक्षा कोषांग को भेजी जाती है. तब वैसे लाभार्थी को ट्राइसाइकिल दी जाती है. वह भी एक समारोह आयोजित कर वितरण किया जाता है. सोगरा हाइस्कूल के बरामदे पर करीब 6 दर्जन से अधिक ट्राइसाइकिल महीनों से रखा हुआ है. यह ट्राइसाइकिल कानपुर के एलिमको कंपनी से खरीद हुई है. सामाजिक सुरक्षा कोषांग के प्रभारी सहायक निदेशक विनोद कुमार ठाकुर ने बताया कि ट्राइसाइकिल आयी है, लेकिन किस स्थान पर रखी गयी है, मेरे संज्ञान में नहीं है.

उन्होंने बताया कि एलिमको कंपनी की ट्राइसाइकिल कानपुर से आयी है, जो कि सिर्फ फ्रेम है. कोरोना काल को लेकर मेकैनिक बिहारशरीफ नहीं आ सका है, जिससे पूरी तरह तैयार नहीं किया जा सका है. आगामी सप्ताह में मेकैनिक के आने की संभावना है. तब उस ट्राइसाइकिल में ग्रीज लगाकर तैयार कर देगा, लेकिन प्रखंड स्तर से विकलांगों की सूची उपलब्ध नहीं हुई है. सूची उपलब्ध होने के बाद गठित कमेटी तय करेगी और सूची को अंतिम रूप देगी. ये सभी कार्य को पूरा करने में करीब डेढ़ महीने का समय लगेगा. तब तक विकलांगों को ट्राइसाइकिल के लिए करना होगा इंतजार.

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