11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लेमन ग्रास की खेती से 2 ग्रामीण महिलाएं लाखों की कर रही आमदनी, यहां पढ़ें पूरी खबर

पाकुड़ जिले की दो ग्रामीण महिलाएं सोनोती मुर्मू एवं लुखी हेम्ब्रम लेमन ग्रास की खेती के सहारे अपने सपनों को साकार करने में जुटी हैं. कल तक अपनी रोजी- रोटी के लिए परेशान रहने वाली पकुड़िया प्रखंड की इन महिलाओं ने अपने खाली पड़े टाड़ जमीन पर लेमन ग्रास की खेती से करीब 2.5 लाख रुपये की आमदनी कर मिसाल कायम की है.

पाकुड़ : जिले की दो ग्रामीण महिलाएं सोनोती मुर्मू एवं लुखी हेम्ब्रम लेमन ग्रास की खेती के सहारे अपने सपनों को साकार करने में जुटी हैं. कल तक अपनी रोजी- रोटी के लिए परेशान रहने वाली पकुड़िया प्रखंड की इन महिलाओं ने अपने खाली पड़े टाड़ जमीन पर लेमन ग्रास की खेती से करीब 2.5 लाख रुपये की आमदनी कर मिसाल कायम की है. वहीं दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गयी हैं.

पाकुड़ जिले के पाकुड़िया प्रखंड की रहनेवाली दो ग्रामीण महिलाओं की इनदिनों खूब चर्चा है. जोहार परियोजना संपोषित शिकारपुर आमकोना आजीविका उत्पादक समूह से जुड़ीं सोनोती एवं लुखी ने जून 2019 में लेमन ग्रास की खेती करने की शुरुआत की.

खेती की शुरुआत में कई लोगों ने इनको पैसे डूबने को लेकर डराया भी, लेकिन उत्पादक समूह की इन महिलाओं ने हार नहीं मानी. आज इनके लहलहाते खेत और उनके चेहरे की मुस्कान शून्य से शिखर की कहानी बयां कर रही है.

Also Read: Jagannath rathyatra 2020 : अधिक स्नान करने से बीमार हुए प्रभु जगन्नाथ, दशमूली दवा का कराया गया सेवन

सखी मंडल से मिला 50 हजार का लोन

लेमन ग्रास की खेती की जानकारी प्राप्त कर सोनोती मुर्मू एवं लुखी हेम्ब्रम ने अपने खाली पड़ी जमीन में लेमन ग्रास की खेती शुरू की. जोहार परियोजना की ओर से लेमन ग्रास की खेती के लिए तकनीकी सहयोग एवं प्रशिक्षण उपलब्ध करायी गयी. सखी मंडल से 50,000 रुपये का ऋण लेकर दोनों महिलाओं ने अपने 2 एकड़ जमीन में 40,000 लेमन ग्रास पत्तियां (स्लिप) लगाया.

कम उपजाऊ और टाड़ जमीन में भी होती है खेती

लेमन ग्रास की खेती कम उपजाऊ जमीन एवं टाड़ में भी आसानी से की जा सकती है. एक बार पौधा लगाने के बाद 5 वर्षों तक प्रति वर्ष 4 से 5 बार इसकी पत्तियों (स्लिप) की कटाई एवं बिक्री कर मुनाफा कमाया जा सकता है. सोनोती मुर्मू एवं लुखी हेम्ब्रम ने पिछले एक साल में 3 बार लेमन ग्रास स्लिप की कटाई की है. इन महिला किसानों ने कुल 3 लाख 40 हजार लेमन ग्रास स्लिप की कटाई एवं 75 पैसे प्रति स्लिप की दर से बिक्री कर 2.5 लाख रुपये की आमदनी की है.

सुगंधित पत्तियों के कारण लेमन ग्रास का महत्व

लेमन ग्रास अथवा नींबू घास का महत्व उसकी सुगंधित पत्तियों के कारण है. पत्तियों से वाष्प आसवन (Steam distillation) द्वारा तेल प्राप्त होता है. जिसका उपयोग कॉस्मेटिक्स, सौंदर्य प्रसाधन, साबुन, कीटनाशक एवं दवाओं में होता है. एंटीऑक्सिडेंट के रूप में लेमन ग्रास का काफी महत्व है.

3100 किसान लेमन ग्रास की खेती से जुड़ें

जोहार परियोजना के तहत अबतक राज्य के 11 जिलों के 21 प्रखंड में 3100 से ज्यादा किसानों को लेमन ग्रास की खेती से जोड़ा गया है. किसानों को तकनीकी सहयोग और सुझाव देने के लिए 542 वनोपज मित्र को प्रशिक्षित किया गया है, जो इन किसानों को लगातार प्रशिक्षण एवं अन्य सलाह ग्रामीण स्तर पर देते हैं.

अब बड़े पैमाने पर लेमन ग्रास की खेती करने की इच्छा: सोनोती मुर्मू

अपने चेहरे पर सफलता की चमक समेटी सोनोती मुर्मू बताती हैं कि हमने कभी नहीं सोचा था कि इस टाड़ (ऊपरी भूमि) में कुछ फसल लगा पायेंगे, पर जोहार परियोजना से प्रशिक्षण लेकर हमने लेमन ग्रास की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाया है. आजीविका वनोपज मित्र ने हमारे प्रशिक्षण एवं समझ को बढ़ाने में बहुत मदद की है. अब हम और बड़े पैमाने पर लेमन ग्रास की खेती करने की सोच रहे हैं.

Also Read: झारखंड में कपड़े और जूते की दुकानें कब खुलेंगी ? लॉकडाउन की रणनीति पर हेमंत सोरेन कर सकते हैं घोषणा

हमारा निर्णय सही और सफल रहा : लुखी हेम्ब्रम

लुखी हेम्ब्रम विश्वास से भरे शब्दों में कहती हैं कि उत्पादक समूह से जुड़कर हमलोगों ने जाना कि कैसे सामूहिक खेती और सामूहिक बिक्री कर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है. कहती हैं कि उत्पादक समूह में चर्चा एवं प्रशिक्षण के बाद ही हमने लेमनग्रास की खेती करने को सोची और आज वो फैसला सही एवं सफल होता दिख रहा है. इसका सबसे बड़ा फायदा है कि एक बार फसल लगाने के बाद 5 साल तक दोबारा लगाने की जरूरत नहीं है और हर साल कमाई होगी.

जोहार से गांव की बदल रही तस्वीर : बिपिन बिहारी

ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी राज्य में जोहार परियोजना का क्रियान्वयन कर रही है. इसके जरिये ग्रामीण महिलाओं को उत्पादक समूह के सहारे उन्नत खेती से जोड़ा जा रहा है. जोहार परियोजना के परियोजना निदेशक बिपिन बिहारी कहते हैं कि जोहार से झारखंड के गांव की तस्वीर बदल रही है. लोग पारंपरिक खेती से हटकर वनोपज का मूल्यवर्धन कर भी अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं. जमीन होते हुए भी जो किसान खेती करने में असक्षम थे, वह अब तकनीकी प्रशिक्षण एवं सहयोग लेकर लेमन ग्रास, सहजन, तुलसी जैसे पौधों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. आगे लेमन ग्रास आसवन इकाई की भी योजना है, ताकि लेमन ग्रास ऑयल का उत्पादन कर उत्पादक कंपनी और अच्छी आय किसानों तक पहुंचा सके.

Posted By : Samir ranjan.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें