रांची : राजधानी के कपड़ा व्यवसायियों, थोक और खुदरा दुकानदारों को उम्मीद थी कि मंगलवार से उनका व्यवसाय शुरू हो जायेगा. दुकान के संचालक और उनके स्टाफ सुबह 10 बजे ही दुकान पर पहुंच गये. सभी दोपहर 12 बजे तक दुकान के बाहर ही बैठे रहे, लेकिन कहीं से कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिलने पर सभी घर लौट गये. अपर बाजार की विभिन्न गलियों, मेन रोड, चर्च रोड सहित राजधानी के अन्य इलाकों में भी यही हाल रहा.
दुकानदारों ने बताया कि चर्चा थी कि 16 जून से कपड़े की दुकानें खुल जायेंगी. इस कारण हमलोगों ने अपने-अपने कर्मियों को दुकान पर आने के लिए कह दिया था, ताकि दुकान की सफाई कर सैनिटाइजेशन किया जा सके. दोपहर तक दुकान खोलने से संबंधित कोई आधिकारिक आदेश नहीं मिलने के कारण हमलोग घर लौट रहे हैं. अब सरकार के निर्णय का इंतजार है. राजधानी व आसपास के इलाके में 10 हजार से अधिक दुकानें हैं.
कर्मचारियों को नहीं मिल रहा वेतन : कपड़े की दुकानें बंद होने के कारण यहां काम करनेवाले कर्मचारियों की रोज-रोटी पर आफत आ गयी है. कई दुकानदारों और प्रतिष्ठानों ने अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया है. वहीं, कई प्रतिष्ठानों में आंशिक भुगतान किया गया है. कर्मियों को कहा गया है कि वे इस मामले में अपनी बातों को ज्यादा इधर-उधर न करें, अन्यथा उन्हें काम से निकाल दिया जायेगा. नौकरी जाने के डर से कर्मचारी अपनी आवाज भी नहीं उठा पा रहे हैं.
राज्य में 50 हजार से अधिक कपड़े की दुकानें हैं, जिनसे प्रत्यक्ष रूप से पांच लाख लोग जुड़े हुए हैं. यदि उनके परिवार को इसमें जोड़ दिया जाये, तो यह संख्या 20 लाख से अधिक हो जाती है. ऐसे में दुकानें बंद रहने से इनके समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. सरकार की जो भी गाइड लाइन होगी, उसका हम पालन करेंगे. दुकान मालिकों को चाहिए कि अपने कर्मचारियों के साथ बेहतर रिश्ता बना कर उनका ध्यान रखें और जितना बन सके उतना उन्हें भुगतान करें.
– प्रतीक मोर, सह सचिव, झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ
बुधवार को उच्चस्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी की संभावित बैठक में लॉकडाउन में पाबंदियों में ढील देने से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लिया जायेगा. संभवत: बुधवार शाम तक पाबंदियों में छूट देने का आदेश जारी कर दिया जायेगा. सूत्रों के मुताबिक, कोविड-19 के संक्रमण के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार मंदिर, मस्जिद व गुरुद्वारा समेत अन्य धार्मिक स्थलों को अभी खोलने के मूड में नहीं है.
Posted by : Pritish Sahay