नयी दिल्ली : भारतीय सेना पहली बार रूस में आयोजित सालाना परेड में हिस्सा लेगी. यह परेड रूस में हर साल होता है. अबतक इस परेड में भारत की ओर से केवल थलसेना शामिल होती थी. ऐसा पहली बार हो रहा है जब इसमें भारत की तीनों सेना अपनी ताकत दिखायेगी. इस साल यह आयोजन राजधानी मास्को में रेड स्क्वेयर पर 24 जून को होगा. इसे विक्ट्री डे परेड भी कहा जाता है. भारतीय सेना 19 जून को रूस के लिए रवाना होगी.
हाल में चीन के साथ भारत के तल्ख रिश्तों के बीच इसे बड़ा कूटनीतिक प्रयास माना जा रहा है. अमेरिका के खिलाफ कई मोरचे पर रूस और चीन एक साथ नजर आते हैं. ऐसे में रूस के साथ भारत की यह घनिष्ठता चीन के आंखों में कांटे की तरह गड़ सकती है. उधर अमेरिका के साथ चीन के संबंध खराब चल रहे हैं, लेकिन भारत और अमेरिका के संबंध अच्छे चल रहे हैं.
रूस ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी न्योता भेजा था. देश में बेलगाम होती कोरोना की रफ्तार के बीच प्रधानमंत्री का वहां जाना मुश्किल है, लेकिन भारत की तीनों सेना अपनी ताकत का प्रदर्शन जरूर करेगी. रूस का चीन के साथ गहरा सैन्य संबंध है. बावजूद इसके रूस को भारत का एक अच्छा दोस्त माना जाता है. चीन और भारत के बीच के विवाद को भी रूस ने हमेशा दो पक्षीय बताया है.
नाजियों पर विजय का यह उत्सव विक्ट्री डे रूस में हर साल 9 मई को मनाया जाता है. इस साल कोरोना वायरस महामारी की वजह से इसका आयोजन 24 जून को किया जा रहा है. भारत की ओर से इसमें शामिल होने 75 से 80 जवान रूस जायेंगे. इस साल का उत्सव रूस के लिए खास महत्व रखता है, क्योंकि नाजियों पर विजय का यह 75वां साल है. इसके लिए कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया गया था.
पिछले साल व्लादिवोस्तोक में हुए बैठक के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस आयोजन का न्योता दिया था. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार परेड में भारतीय सेना ‘ग्रेट पैट्रियेटिक युद्ध’ में भारतीय सैनिकों द्वारा किये गये योगदान पर प्रदर्शन कर सकते हैं. रूस के साथ भारत की इस नजदीकी से चीन का बौखलाना तय है.
Posted By: Amlesh Nandan Sinha.