नयी दिल्ली : अगर कोई नौकरी-पेशा आदमी किसी कंपनी में पांच साल से भी कम समय तक नौकरी करने के बाद उसे छोड़ देता है, जहां उसके वेतन से कटौती करके कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में रिटायरमेंट बेनिफिट के साथ उसका अंशदान जमा कराया जा रहा हो, तो वह अपने खाते में जमा राशि को निकाल सकता है. हालांकि, ईपीएफ खाते में 5 साल से कम के अंशदान के साथ निकासी के मामले में न केवल निकाली गयी राशि टैक्स के योग्य हो जाती है, बल्कि नौकरी के दौरान कर्मचारी के अंशदान पर मिलने वाली टैक्स से छूट पर लाभ भी उल्टा हो जाता है. इस बीच, लेकिन सवाल यह भी पैदा होता कि क्या 5 साल की नौकरी के अंदर किसी कंपनी से इस्तीफा देने के बाद 61 वर्षीय व्यक्ति अपने प्रोविडेंट फंड (PF) खाते में जमा शेष राशि की निकासी की स्थिति में कर योग्य होगा?
अंग्रेजी की एक वेबसाइट को दिये साक्षात्कार में चार्टर्डक्लब.कॉम की सीईओ, संस्थापक और सीए करन बत्रा कहते हैं कि हां, किसी संस्थान में पांच साल से भी कम समय तक नौकरी करने के बाद निकाली गयी राशि कर के योग्य होगी. उनका कहना है कि इस मामले में उम्र मायने नहीं रखती कि निकासी की गयी राशि कर योग्य होगी या नहीं या फिर कुछ अन्य कारक मायने रखते हैं. वे आगे कहते हैं कि यदि किसी परिस्थिति में कोई कर्मचारी पांच साल से कम समय तक नौकरी करने के बाद पीएफ खाते से पैसे की निकासी करते हैं, तो बाकी बची हुई राशि की निकासी कर योग्य होनी चाहिए.
इन परिस्थितियों में पीएफ से निकासी पर मिलेगी टैक्स से छूट : एक अन्य विशेषज्ञ एनए शाह एसोसिएट्स के पार्टनर गोपाल बोहरा कहते हैं कि यदि कोई कर्मचारी अपने पूर्ववती संस्थान से नौकरी छोड़ने के बाद अपने पीएफ खाते से बाकी बची हुई राशि को स्थानांतरित करता है, जहां पीएफ से कटौती की जाती हो, वहां से वर्तमान कंपनी में राशि स्थानांतरित किये पर पांच साल के अंदर नौकरी छोड़ने पर बाकी बची हुई राशि की निकासी की रकम पर टैक्स से छूट मिलेगी. उनका कहना है कि पीएफ ट्रांसफर करने के अलावा कुछ अन्य परिस्थितियों में भी खाते से निकासी पर टैक्स नहीं लगाया जा सकता.
काम से ब्रेक लेने के बाद नहीं मिलता टैक्स से छूट का लाभ : आयकर नियमों के मुताबिक, पीएफ खाते से बाकी बची हुई राशि पर टैक्स लग सकती है यदि कोई कर्मचारी उस अवधि तक लगातार पांच साल तक लगातार काम नहीं किया हो. हालांकि, कुछ अपवाद भी हैं, जिसमें टैक्स से छूट का लाभ दिया गया है.
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कब मिलता है टैक्स से पूरी तरह छूट का लाभ : विशेषज्ञों का कहना है कि किसी कर्मचारी को टैक्स से पूरी तरह छूट का लाभ तभी मिल पाता है, जब उसे लंबी बीमारी के बाद या फिर कंपनी का बिजनेस ठप होने की वजह से या फिर किसी अन्य कारणों से उसके नियोक्ता ने उसे नौकरी से निकाल दिया हो, जो कर्मचारी के हाथ की चीज ही नहीं हो. इसके साथ ही, यदि नौकरी के दौरान पूर्ववर्ती संस्थान से खाते का नये नियोक्ता के पास ट्रांसफर किया गया हो, तो ऐसी स्थिति में भी उसे टैक्स से छूट का लाभ मिल जा सकता है.
इन मामलों में वापस नहीं ली जा सकती है छूट : विशेषज्ञों के अनुसार, यह माना जाता है कि कर्मचारी निजी क्षेत्र में काम कर रहा है, जहां रिटायरमेंट की कोई वैधानिक आयु सीमा नहीं है. आयकर अधिनियम के तहत मान्यता प्राप्त भविष्य निधि से निकाली गयी राशि के संबंध में छूट प्रदान की जाती है, सिवाय इसके कि जहां कर्मचारी ने 5 वर्ष से कम की नौकरी की है. हालांकि, इस तरह की छूट को निम्नलिखित मामलों में वापस नहीं लिया जाएगा, भले ही कर्मचारी ने 5 साल से कम समय के लिए सेवा प्रदान की हो…
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यदि उसने अपने नियोक्ता के साथ पांच साल या उससे अधिक की अवधि के लिए निरंतर सेवा प्रदान की है या
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यदि सेवा को कर्मचारी के खराब स्वास्थ्य के कारण या नियोक्ता के व्यवसाय के संकुचन या बंद होने या कर्मचारी के नियंत्रण से परे अन्य कारणों से समाप्त किया गया है या
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यदि अपने रोजगार के समापन पर, कर्मचारी किसी भी अन्य नियोक्ता के साथ रोजगार प्राप्त करता है, तो उस तक बाकी बची हुई राशि और उसके लिए देय होने के कारण किसी अन्य मान्यता प्राप्त भविष्य निधि में ऐसे व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत खाते में स्थानांतरित कर दिया जाता है या
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यदि कर्मचारी के क्रेडिट के लिए खड़ा संपूर्ण शेष राशि उसके खाते में धारा 80CCD में निर्दिष्ट पेंशन योजना के तहत और केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की जाती है.
Posted By : Vishwat Sen
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