लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 18 और मौतों के साथ सोमवार को कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 417 हो गयी, जबकि राज्य में संक्रमण के मामले बढ़कर 14,091 हो गये. प्रमुख सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि राज्य में संक्रमण के उपचाराधीन मामले 5064 हैं, जबकि 8610 लोग पूर्णतया उपचारित होकर अस्पतालों से छुट्टी पा चुके हैं.” उत्तर प्रदेश में रिकवरी की दर 61.10 प्रतिशत है.”
अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण 18 और लोगों ने जान गंवा दी. अब तक 417 लोगों की मौत हो चुकी है. प्रदेश में कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 14,091 हो गये हैं. प्रसाद ने बताया कि एकांतवास में 5081 लोगों को रखा गया है, जिनका विभिन्न चिकित्सालयों और मेडिकल कॉलेजों में उपचार किया जा रहा है. पृथकवास में 7436 लोग रखे गये हैं. उनके नमूने लेकर जांच की जा रही है. अगर जांच के बाद कोई संक्रमित पाया जाता है तो उसे एल-1, एल-2 या एल-3 अस्पतालों में उसकी स्थिति के हिसाब से भर्ती करके इलाज कराया जायेगा अन्यथा पृथकवास में रहने वालों को निर्धारित समयावधि पूरी हो जाने पर घर भेज दिया जायेगा.
प्रमुख सचिव ने बताया कि रविवार को 13,388 नमूनों की जांच की गयी. अब तक 4,66,081 नमूनों की जांच की जा चुकी है. पूल सैंपल के माध्यम से रविवार को ही पांच पांच सैंपल के 1237 पूल लगाये गये, जिनमें से 201 पॉजिटिव निकले, जबकि दस-दस सैंपल के 98 पूल लगाये गये, जिनमें से 20 पॉजिटिव पाये गये. उन्होंने बताया कि आरोग्य सेतु का लगातार उपयोग किया जा रहा है. जिन लोगों को इसके माध्यम से एलर्ट आये, ऐसे 81, 339 लोगों को स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय के नियंत्रण कक्ष से फोन कर हालचाल लिया गया और आवश्यक सलाह दी गयी.
अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं ने अब तक 16,46,312 प्रवासी कामगारों एवं श्रमिकों के गांव गांव, घर-घर जाकर उनका सर्वेक्षण किया है. इनमें से 1455 में कोरोना वायरस संक्रमण के कोई ना कोई लक्षण पाये गये, जिनकी जांच करायी गयी है. प्रसाद ने बताया कि ग्राम निगरानी समिति और मोहल्ला निगरानी समिति से लगातार संपर्क रखा गया. ग्राम प्रधानों और सभासदों से फोन पर बातचीत की गयी. इसका परिणाम यह रहा कि जो लोग घर पर पृथकवास में रखे गये हैं, वे उसका अच्छे से पालन कर रहे हैं.
प्रमुख सचिव ने बताया कि फलस्वरूप गांवों में सैम्पलिंग करायी गयी तो गांव के दूसरे सदस्य, जो पहले से वहां रह रहे थे, उनमें संक्रमण नहीं था. इसका मतलब है कि प्रवासी कामगारों ने अपने सामाजिक दायित्व का भलीभांति निर्वहन किया है. प्रसाद ने जनता से अनुरोध किया कि जो लोग घर पर पृथकवास में रखे गये हैं, वे उसका पालन करें ताकि आप अपने आस पड़ोस, मित्र साथियों को संक्रमण से बचा सकें. घर में भी पृथकवास का पालन करना है.
बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, दस साल से कम उम्र के बच्चों और पहले से बीमार लोगों से दूरी बनाकर रखनी है. उन्हें संक्रमण से बचाकर रखना है क्योंकि देखा गया है कि जो भी जटिलताएं आयीं या जो मौतें हुईं, उनमें से 80 से 85 प्रतिशत लोगों को पहले से कोई ना कोई बीमारी थी. उन्होंने बताया कि 5620 हॉटस्पाट (संक्रमण से अधिक प्रभावित) क्षेत्रों सहित कुल 17,695 क्षेत्रों की निगरानी की गयी है और 92,09,680 घरों में 4,69,53,258 लोगों का सर्वेक्षण किया गया. ये कार्य निरंतर चल रहा है. प्रयास है कि हम लोगों को जागरूक करके जनता को इस बीमारी के बारे में बताकर सावधान रहने के लिए कहें. उनको समझा कर इस संक्रमण को लोगों से दूर रखने के लिए कहें.
प्रसाद ने बताया कि डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया में वायरस को फैलाने वाला ‘कैरियर’ मच्छर होता है, लेकिन कोरोना वायरस में मनुष्य ही वायरस का कैरियर है. अगर मनुष्य सावधान रहे कि हमें खुद को भी बचाना है और दूसरे को भी बचाना है तो हम संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ सकते हैं. संक्रामक बीमारी में संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ना बहुत महत्वपूर्ण है.