रांची : राजधानी के बिरसा मुंडा स्मृति पार्क में जुडको ने 18 करोड़ रुपये की लागत से गरीबों के लिए 180 फ्लैट बनवाये हैं. बिजली का कनेक्शन नहीं होने के कारण अब तक इन फ्लैटों में लाभुक शिफ्ट नहीं हुए हैं. लेकिन, इससे पहले ही इन नवनिर्मित फ्लैटों में कई जगह दीवारों में दरारें आ गयी हैं. इससे फ्लैटों के निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं.
बिरसा मुंडा स्मृति पार्क में बने इन फ्लैटों में 10 जून को ही मेयर व डिप्टी मेयर ने गरीबों का गृह प्रवेश करवाया था. जब लाभुकों ने अपने फ्लैट का मुआयना किया, तो पाया कि भवन की दीवारों में दरारें हैं. लाभुकों ने कहा कि जब शिफ्ट होने से पहले ही यह हालत है, तो भविष्य में ये भवन कितने दिनों तक टिकेंगे, यह सोच कर ही डर लगता है.
निजी बिल्डर सात लाख तक की लागत में बनाते हैं ऐसे फ्लैट
बिरसा मुंडा स्मृति पार्क से विस्थापित हुए गरीबों के लिए पार्क के समीप ही फ्लैट का निर्माण कराया गया था. हर फ्लैट करीब 330 स्क्वायर फीट में बना है, जिसमें एक बेडरूम, एक हॉल, एक किचन, एक बाथरूम और एक बालकोनी है. भवन निर्माण क्षेत्र के जानकार बताते हैं कि इतने क्षेत्रफल में एक ‘वेल फर्निस्ड’ फ्लैट बनाने में निजी बिल्डर को करीब सात लाख रुपये की लागत आती है.
राजधानी में भवन निर्माण की दर करीब 1000 प्रति स्क्वायर फीट है. इन फ्लैटों के निर्माण के लिए जुडको को सरकार से प्रति फ्लैट 10-10 लाख रुपये मिले हैं. जमीन भी सरकार की है. इसके बावजूद इस तरह की कंस्ट्रक्शन क्वालिटी सवाल खड़े कर रही है. जाहिर है कि भवन निर्माण के दौरान मानकों का खयाल नहीं रखा गया, जिसकी वजह से कुछ ही दिनों में इनकी दीवारें दरक गयी हैं.
लाभुकों ने कहा :
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शिफ्ट होने से पहले ही यह हाल है, न जाने कितने दिन टिकेगा
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बिरसा मुंडा स्मृति पार्क में गरीबों के लिए बनवाये गये हैं 180 फ्लैट
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10 जून को ही मेयर और डिप्टी मेयर ने कराया था लाभुकों का गृह प्रवेश
फ्लैटों में दरार पड़ना जुडको को बड़ी बात नहीं लगती
आरसीसी और ईंट का जहां-जहां ज्वाइंट है, उसमें थोड़ा-बहुत क्रैक है. भवन के स्ट्रक्चर में कहीं पर कोई दरार नहीं है. यह चिंता का विषय नहीं है. जल्द ही इनकी मरम्मत करायी जायेगी.
पीके सिंह, डीजीएम, जुडको