रांची : डकैती, रंगदारी और लेवी वसूली में सात साल से फरार गंगा साव को हजारीबाग पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. वह उरीमारी ओपी क्षेत्र के चानो गांव का निवासी है. वर्तमान में हजारीबाग के झील नगर में किराये के मकान में रह रहा था. उस पर तीन जिलों में चार मामले दर्ज हैं.
बड़कागांव एसडीपीओ भूपेंद्र रावत ने बताया कि गंगा को पुलिस सात वर्षों से खोज रही थी. उसे लोहसिंघना थाना क्षेत्र के मंडई मुहल्ला से पकड़ा गया. गंगा पर डकैती, रंगदारी व लेवी वसूली से संबंधित मामला दर्ज है. वहीं झारखंड टाइगर ग्रुप का कर्ता-धर्ता और गंगा का भाई राजकुमार गुप्ता वर्तमान में हजारीबाग जेल में है. हजारीबाग एसपी कार्तिक एस ने बताया कि पुराने केस को खंगालने के दौरान गंगा पुलिस के हत्थे चढ़ गया.
इसलिए पुलिस की पकड़ में नहीं आ रहा था : गंगा 2016 से हजारीबाग, चतरा, रांची सहित अन्य जिलों में घूम रहा था, लेकिन उस पर कोई हाथ नहीं डाल रहा था. इसके पीछे एक वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी का संरक्षण मिलना बताया जाता है. ऐसे में संभव है कि गंगा के मोबाइल का कॉल डिटेल और लोकेशन निकाला जाये, तो कई अफसर बेनकाब हो सकते हैं.
कहा तो यह भी जाता है कि 2016 में जेल से निकलने के बाद एक राजनेता से दुश्मनी को लेकर एक सीनियर आइपीएस ने ही गंगा को संरक्षण दिया था. गंगा ट्रांसफर-पोस्टिंग में भी दिमाग लगाता था. कई थानेदारों के साथ व्यपारिक रिश्ता बना कर बालू-कोयला के धंधे में भी शामिल हो गया था. इस दौरान इसने दो ट्रक, दो बोलेरो, एक स्कॉर्पियो सहित अन्य संपत्ति अर्जित की. सूत्र बताते हैं कि एक आइपीएस ने इसे दो पिस्टल दे रखा था.
जेल में सुजीत सिन्हा के संपर्क में आया था : झारखंड टाइगर ग्रुप सहित अन्य मामलों में वर्ष 2014 में गिरफ्तार कर गंगा साव और राजकुमार गुप्ता को हजारीबाग जेल भेजा गया था. जेल में रहते इन दोनों भाइयों को गैंगस्टर सुजीत सिन्हा का संरक्षण मिला. बाद में गंगा साव रामगढ़ जेल गया. वहां वह बड़कागांव थाना से फरार चल रहा अपराधी अमन साहू के साथ रहने लगा.
कई अफसरों से संपर्क का धौंस दिखा कर दी धमकी : सूत्र बताते हैं कि पकड़े जाने के बाद कई आइपीएस के साथ संपर्क बताते हुए वह पुलिस अफसरों को धमकाने लगा] लेकिन हजारीबाग पुलिस ने उसकी एक न सुनी और उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.