श्रम को सम्मान : 1600 श्रमिक गये लेह-लद्दाख, बोले सीएम
दुमका : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को दुमका रेलवे स्टेशन से 1600 से अधिक श्रमिकों से भरी ट्रेन को लेह-लद्दाख के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. सीमा सड़क संगठन के अधिकारी इन श्रमिकों को लेकर गये हैं. संताल परगना से सात ट्रेनों से 11 हजार से अधिक मजदूरों को ले जाने की योजना है. शनिवार को यह पहली ट्रेन रवाना हुई. इससे पहले मुख्यमंत्री ने कहा कि लेह-लद्दाख जानेवाले श्रमिक सैनिकों की तरह ही सीमा की सुरक्षा में योगदान देने जा रहे हैं.
इन दुर्गम स्थानों पर विपरीत परिस्थिति में काम करना आसान नहीं है. उन्होंने कहा कि इससे पहले भी देश की सीमा पर झारखंड के इस इलाके से श्रमिक जाते रहे हैं, पर पहले वे कैसे गये, यह बताना या उसकी चर्चा करना वे नहीं चाहते. सीएम ने दो टूक कहा कि अब कड़ाई से कानून का पालन होगा. वाजिब हक और मेहनत का असली हिस्सा उन्हें मिलेगा. कम मिला, तो सरकार तुरंत कार्रवाई करने से भी नहीं चूकेगी.
प्रवासियों को लाने की वकालत सबसे पहले हमने की : मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले सरकार को भी यह जानकारी नहीं होती थी कि कहां से कितने मजदूर किस इलाके में काम करने गये हैं. यही इस देश की खूबसूरती थी कि वे अलग-अलग हिस्सों में जाकर देश के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते थे.
आर्थिक विकास को गति देते थे. लॉकडाउन में मजदूरों की स्थिति काफी खराब हुई. अमानवीय व्यवहार झेलना पड़ा. महिला श्रमिकों को चलते-चलते प्रसव पीड़ा को भी झेलना पड़ा. ट्रेन-सड़क पर मरने को मजबूर होना पड़ा. पर, लॉकडाउन में प्रवासियों को लाने की सबसे पहले वकालत झारखंड ने की और सबसे पहले प्रवासियों को लेकर ट्रेन भी यहीं आयी.
हमने हवाई जहाज से मजदूरों को लाने का काम किया. उन्होंने कहा कि लेह-लद्दाख और अन्य दुर्गम इलाके से अभी भी मजदूर आ रहे हैं. ऐसे मजदूरों को अब भी लाने का सिलसिला जारी है. उन्होंने कहा कि डाटाबेस तैयार हो चुका है कि कितने मजदूर कहां पलायन करते हैं. आज ऐसी सभी बातों की मॉनीटरिंग हो रही. हर राज्य में नोडल पदाधिकारी और कंट्रोल रूम संवेदनशील होकर काम कर रहा है.