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पोस्टर और बैनर के सहारे नक्सलियों को वापस बुलाने की कोशिश

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले की पुलिस ने नक्सलियों को हथियार छोड़ मुख्य धारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते उनके गांवों में पोस्टर और बैनर लगाना शुरू किया है. पुलिस ने नक्सलियों से कहा है कि वे हथियार छोड़कर वापस गांव लौट आएं . दंतेवाड़ा जिले के पुलिस अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि पुलिस ने नक्सलियों के गांवों में बैनर पोस्टर लगाये है और उनसे गोंडी बोली में हथियार छोड़कर समाज में लौटने के लिए कहा गया है.

रायपुर : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले की पुलिस ने नक्सलियों को हथियार छोड़ मुख्य धारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते उनके गांवों में पोस्टर और बैनर लगाना शुरू किया है. पुलिस ने नक्सलियों से कहा है कि वे हथियार छोड़कर वापस गांव लौट आएं . दंतेवाड़ा जिले के पुलिस अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि पुलिस ने नक्सलियों के गांवों में बैनर पोस्टर लगाये है और उनसे गोंडी बोली में हथियार छोड़कर समाज में लौटने के लिए कहा गया है.

वहीं इन पोस्टरों में वरिष्ठ अधिकारियों का फोन नंबर भी दिया गया है जिससे नक्सली उनसे संपर्क कर सकें. दंतेवाड़ा जिले के पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने बताया कि क्षेत्र में ‘लोन वर्राटू’ नाम से एक अभियान चलाया गया है. ‘लोन वर्राटू’ स्थानीय गोंडी बोली का शब्द है तथा इसका अर्थ होता है ‘अपने गांव लौट आओ.’ इस अभियान के तहत जिले के चिकपाल गांव के पंचायत भवन के सामने चार महिला नक्सलियों समेत 13 नक्सलियों का पोस्टर चिपकाया गया है.

पल्लव ने बताया कि चिकपाल गांव के निवासी इन नक्सलियों के सिर पर एक लाख रुपये से आठ लाख रुपये तक का इनाम है. ये नक्सली दक्षिण बस्तर क्षेत्र में सक्रिय हैं. पल्लव ने कहा कि क्षेत्र में पिछले तीन दशक से नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई के दौरान यह पहली बार है कि नक्सलियों को वापस बुलाने के लिए इस तरह का अभियान चलाया जा रहा है. पुलिस अधिकारी ने बताया कि पोस्टर और बैनर में नक्सलियों का नाम, संगठन में उनका पोस्ट और उनके सिर पर रखे गए इनाम की राशि की जानकारी दी गई है.

साथ ही संदेश दिया गया है कि वह नक्सलवाद छोड़कर राज्य के आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति का लाभ उठाएं. उन्होंने बताया कि ग्रामीणों को लगता है कि जो लोग गांव छोड़कर गए हैं वे काम की तलाश में पड़ोसी राज्य गए हैं. लेकिन जब नक्सलियों के नामों का खुलासा होगा तब वे हथियार उठाने वाले लोगों के बारे में जान सकेंगे. अधिकारी ने बताया कि पुलिस नक्सल प्रभावित सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर और राजनांदगांव जिलों के अधिकारियों से संपर्क कर इनामी नक्सलियों और उनके निवास स्थान की सूची तैयार कर रही है.

पल्लव ने बताया कि इस अभियान के तहत पहले सबसे अधिक नक्सल प्रभावित 25 ऐसे गांवों को लिया गया है जहां पांच से अधिक इनामी नक्सली रहते हैं या उनका गांव है. दंतेवाड़ा जिले में लगभग दो सौ ऐसे नक्सली है जिनके सिर पर इनाम है. उन्होंने बताया कि जिले में जितने भी इनामी नक्सली हैं उनके नाम की पुस्तिका तैयार की जाएगी तथा उसे क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों और अन्य विभागों के अधिकारियों को दी जाएगी. पुलिस अधिकारी ने बताया कि इसके साथ ही नक्सलियों के परिजनों और उनके परिवार के अन्य सदस्यों से बातचीत करने की पहल की गई है.

जिससे वे नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने और सामान्य जीवन जीने के लिए प्रेरित कर सके. पल्लव ने बताया कि नक्सलियों के परिजनों के लिए सरकारी योजना के तहत गांव में छोटी आवासीय कालोनी का निर्माण करने भी योजना है. इसके लिए जिला प्रशासन से समन्वय किया जा रहा है. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इन परिवारों को नक्सल प्रभावित माना जाएगा तथा उनसे अनुरोध करेंगे कि वे हथियार उठा चुके अपने परिवार के सदस्य को हिंसा छोड़ने के लिए कहें.

Posted By- Pankaj Kumar Pathak

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