22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

भारत और अमेरिका में सहिष्णुता का डीएनए गायब हो गया : राहुल गांधी

नयी दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को दावा किया कि अमेरिका और भारत सहिष्णुता एवं खुलेपन के डीएनए के लिए जाने जाते थे जो अब गायब हो गया है और विभाजन पैदा करने वाले खुद को राष्ट्रवादी कह रहे हैं. अमेरिका के पूर्व राजनयिक निकोलस बर्न्स के साथ वीडियो कांफ्रेंस के जरिए संवाद में गांधी ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच पूर्व में साझेदारी वाले संबंध थे, लेकिन अब ये लेन-देन वाले ज्यादा हो गये हैं.

नयी दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को दावा किया कि अमेरिका और भारत सहिष्णुता एवं खुलेपन के डीएनए के लिए जाने जाते थे जो अब गायब हो गया है और विभाजन पैदा करने वाले खुद को राष्ट्रवादी कह रहे हैं. अमेरिका के पूर्व राजनयिक निकोलस बर्न्स के साथ वीडियो कांफ्रेंस के जरिए संवाद में गांधी ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच पूर्व में साझेदारी वाले संबंध थे, लेकिन अब ये लेन-देन वाले ज्यादा हो गये हैं.

निकोलस बर्न्स ने चीन के नेतृत्व को ‘अधिनायकवादी, भयभीत और अपने ही लोगों पर शिकंजा कसने वाला’ करार देते हुए कहा कि भारत और अमेरिका बीजिंग से लड़ने के लिए नहीं, बल्कि उसे कानून के शासन का पालन कराने के लिए साथ काम कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि चीन के साथ कोई संघर्ष नहीं, बल्कि विचारों की लड़ाई है तथा भारत और अमेरिका को दुनिया में मानवीय स्वतंत्रता, लोकतंत्र और लोक शासन को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए.

उनसे बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने भारत और अमेरिका के मौजूदा सत्तारूढ़ पक्षों पर निशाना साधते हुए दावा किया, ‘जब अमेरिका में अफ्रीकी-अमेरिकियों, मैक्सिकन और अन्य लोगों को बांटते हैं, उसी तरह भारत में हिंदुओं और मुसलमानों और सिखों को बांटते हैं, तो आप देश की नींव को कमजोर कर रहे होते हैं. लेकिन देश की नींव को कमजोर करने वाले यही लोग खुद को राष्ट्रवादी कहते हैं.’

गांधी ने अमेरिका में ‘ब्लैक लाइव्ज मैटर’ आंदोलन की पृष्ठभूमि में कहा, ‘मुझे लगता है कि हम एक जैसे इसलिए हैं, क्योंकि हम सहिष्णु हैं. हम बहुत सहिष्णु राष्ट्र हैं. हमारा डीएनए सहनशील माना जाता है. हम नये विचारों को स्वीकार करने वाले हैं. हम खुले विचारों वाले हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि वो अब गायब हो गया है. यह काफी दुःखद है कि मैं अब उस स्तर की सहिष्णुता को नहीं देखता, जो मैं पहले देखता था. ये दोनों ही देशों में नहीं दिख रही.’

उन्होंने यह भी कहा, ‘मैं सौ प्रतिशत आशान्वित हूं, क्योंकि मैं अपने देश के डीएनए को समझता हूं. मैं जानता हूं कि हजारों वर्षों से मेरे देश का डीएनए एक प्रकार का है और इसे बदला नहीं जा सकता. हां, हम एक खराब दौर से गुजर रहे हैं. मैं कोविड के बाद नये विचारों और नये तरीकों को उभरते हुए देख रहा हूं. मैं लोगों को पहले की तुलना में एक-दूसरे का बहुत अधिक सहयोग करते हुए देख सकता हूं.’

बर्न्स ने कोरोना वायरस से जुड़े संकट के कारण दुनिया में शक्ति संतुलन में व्यापक बदलाव की धारणा को खारिज करते हुए कहा, ‘लोग कहते हैं कि चीन आगे निकलने वाला है. मैं ऐसा नहीं देखता. चीन एक बड़ी शक्ति अभी भी है. लेकिन वह अभी तक सैन्य, आर्थिक और राजनीतिक रूप से अमेरिका के बराबर नहीं हुआ है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह आगे बढ़ रहा है.’

उनके अनुसार, चीन में जो कमी है, वो यह है कि वहां भारत और अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देशों की तरह लचीलापन और खुलापन नहीं है. बर्न्स ने कहा, ‘चीन के पास एक भयभीत नेतृत्व है, जो अपने ही नागरिकों पर शिकंजा कसकर अपनी शक्ति को बनाए रखने की कोशिश करता है. देखिए कि झिंजियांग, उइगर और हांगकांग में क्या हो रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि भारत और अमेरिका एक साथ काम कर सकते हैं. चीन से लड़ने के लिए नहीं, बल्कि उसे कानून के शासन का पालन कराने के लिए साथ काम कर सकते हैं.’ हार्वर्ड कैनेडी स्कूल के प्रोफेसर बर्न्स ने भारतीय नागरिकों के लिए एच 1बी वीजा में कमी पर चिंता प्रकट करते हुए कहा, ‘इन दिनों एच 1बी वीजा पर आने वालों की संख्या कम हुई है. अमेरिका के पास पर्याप्त इंजीनियर नहीं है. यह भारत से हमें मिल सकते हैं. हमें इसे प्रोत्साहित करना होगा.’

कोरोना वायरस संकट का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह मौका था कि जी-20 मिलकर काम करते. इस संकट के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मिलकर काम करते. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बर्न्स ने कहा, ‘मैं आशा करता हूं कि अगला कोई ऐसा संकट आने पर हम उससे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए मिलकर काम करें.’

Posted By: Amlesh Nandan Sinha.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें