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ई-लर्निंग से निखारें सॉफ्ट स्किल्स, इंडस्ट्री के नये परिवर्तनों से रहें अपडेट

आज छोटे-बड़े सभी संस्थानों में सॉफ्ट स्किल्स को उतना ही महत्व दिया जाता है, जितना कि टेक्निकल स्किल्स को दिया जाता है. सॉफ्ट स्किल्स में नॉन-टेक्निकल स्किल्स शामिल हैं, जो आपके टेक्निकल कौशल को सहयोग प्रदान करते हैं. कंपनी में आपकी अलग पहचान बनाने में सॉफ्ट स्किल्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. कंपनी द्वारा आपके सॉफ्ट स्किल्स का परीक्षण इंटरव्यू के समय से ही किया जाने लगता है.

आज छोटे-बड़े सभी संस्थानों में सॉफ्ट स्किल्स को उतना ही महत्व दिया जाता है, जितना कि टेक्निकल स्किल्स को दिया जाता है. सॉफ्ट स्किल्स में नॉन-टेक्निकल स्किल्स शामिल हैं, जो आपके टेक्निकल कौशल को सहयोग प्रदान करते हैं. कंपनी में आपकी अलग पहचान बनाने में सॉफ्ट स्किल्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. कंपनी द्वारा आपके सॉफ्ट स्किल्स का परीक्षण इंटरव्यू के समय से ही किया जाने लगता है.

नियोक्ता निरंतर ऐसे उम्मीदवारों की खोज में रहते हैं, जो प्रभावी संचार, रचनात्मकता, अनुकूलनशीलता, सहानुभूति, सीखने की इच्छा, प्रबंधन, टीमवर्क जैसे स्किल्स के धनी होते हैं. ऐसे में प्रतिष्ठित नौकरी से जुड़ने का मौका तलाश रहे युवा ऑनलाइन लर्निंग के माध्यम से सॉफ्ट स्किल्स को निखारकर इंडस्ट्री के अनुसार खुद को तैयार कर सकते हैं.

प्रोग्राम का आसानी से समझ में आना है महत्वपूर्ण

इंप्लॉइज में स्किल डेवलपमेंट के महत्व को समझते हुए आज कई कंपनियां समय-समय पर स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग का आयोजिन कर रही हैं. हाल में किये गये एक सर्वे में पाया गया है कि अधिकतर कर्मचारी ऐसे लर्निंग प्रोग्राम का हिस्सा बनना पसंद करते हैं, जो सीखने व समझने में आसान हों और जो ऑफिस के अलावा अन्य कार्यों से संबंधित स्किल्स को निखारने में सहायक हों. वहीं अधिकतर कर्मचारी अपनी पसंदीदा जगह पर कभी भी, कभी भी, किसी भी डिवाइस के माध्यम से ऑपरेट किये जानेवाले प्रोग्राम्स को अपनाना पसंद करते हैं.

विकसित होता है जिम्मेदारी का गुण

ऑनलाइन स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स, लर्नर्स को उनके मनमुताबित समय व जगह पर सीखने का मौका देते हैं. ऐसे में लर्नर में टाइम मैनेजमेंट और नियमित पढ़ाई करने का गुण विकसित होता है. ई-लर्निंग में किसी ट्रेनिंग प्रोग्राम को पूरा करने के लिए चार से छह सप्ताह का समय निर्धारित होता है. वे उम्मीदवार, जो गंभीरता के साथ इस माध्यम से पढ़ाई करते हैं, वे प्रतिदिन दो घंटे अपने ट्रेनिंग प्रोग्राम को देते हैं. ऐसे छात्रों में टाइम मैनेजमेंट, मल्टीटास्किंग, सेल्फ मोटिवेशन जैसे गुण विकसित होते हैं. खुद में ओनरशिप का गुण विकसित करनेवाले इन उम्मीदवारों के लिए किसी भी संस्थान में अपनी अगल पहचान बनाना आसान हो जाता है.

होता है सैद्धांतिक ज्ञान का विकास

इन दिनों अधिकतर ऑनलाइन प्रोग्रामों में असाइनमेंट, असेसमेंट टेस्ट, कोड चैलेंजेस, क्विज व एक्सरसाइज को शामिल किया जाता है, जिससे समय-समय पर उम्मीदवार के ज्ञान का परिक्षण किया जा सके. इनका उद्देश्य उम्मीदवार में किसी भी अवधारणा की व्यावहारिक समझ विकसित करना है, क्योंकि उम्मीदवार को अपनी नौकरी के दौरान उन पर अमल करना होता है. इस व्यावहारिक ज्ञान को निखारने के लिए ऑनलाइन लर्निंग प्रोग्राम के अंत में इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट्स को शामिल किया जा रहा है, जिससे व्यावहारिक कौशल को निखार कर उम्मीदवार को किसी भी उद्योग के भीतर बेहतर पेशेवर रूप में काम करने के लिए तैयार किया जा सके.

नये बदलावों से होते रहे अपडेट

किसी भी इंडस्ट्री में काम करने का तरीका जितनी तेजी से बदलता है, आपको अपने स्किल्स को भी समय व परिवर्तन के अनुसार अपडेट करते रहना होगा. इन परिवर्तनों को जानने के लिए भी आप ऑनलाइन माध्यम को अपना सकते हैं. एक बार आपको आपके काम को प्रभावी बनानेवाले गुणों की जानकारी हो जायेगी, आपके लिए इन्हें सीखने का रास्ता तलाशना भी आसान हो जायेगा.

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