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थापरनगर भू-धंसान स्थल डेंजर जोन घोषित

ईस्टर्न कोलफील्ड (इसीएल) ने थापरनगर स्टेशन के समीप भू-धंसान की घटना के बाद एमपीएल की निर्माणाधीन रेललाइन और इससे सटी करीब 50 मीटर की परिधि को डेंजर जोन घोषित कर दिया है.

निरसा : ईस्टर्न कोलफील्ड (इसीएल) ने थापरनगर स्टेशन के समीप भू-धंसान की घटना के बाद एमपीएल की निर्माणाधीन रेललाइन और इससे सटी करीब 50 मीटर की परिधि को डेंजर जोन घोषित कर दिया है. जमीन धंसने वाली जगह पर चारों ओर लाल झंडा लगा दिया गया है. तत्काल यहां मिट्टी भराई का कार्य भी रोक दिया गया है.

इसीएल मुगमा एरिया के जीएम विभाष चंद्र सिंह, एजेंट एस मैत्रा और एमपीएल के वरिष्ठ रेल पदाधिकारी सीबी सिंह समेत कई पदाधिकारी गुरुवार को भी प्रभावित स्थल पर पहुंचे. अधिकारी वतर्मान स्थिति से अवगत हुए. जीएम श्री सिंह ने साल 1955 से 60 के बीच चली श्यामपुर थापरनगर चानक खदान की वालिंग कर उसे भराई करने का आदेश दिया. भराई कार्य शुरू कर दिया गया है.

जांच कार्य के लिए एमपीएल द्वारा बिछाई जा रही रेललाइन की चार पटरी एवं 32 स्लीपर हटा दिये गये. घटनास्थल पर शुक्रवार को डीजीएमएस के डीजी, इसीएल के सीएमडी एवं आसनसोल रेल मंडल के वरीय पदाधिकारियों के आने की संभावना है. अधिकारियों की टीम घटनास्थल का भौतिक निरीक्षण करेगी. तकनीकी विशेषज्ञों से सलाह-मशविरे के बाद ही नयी रेललाइन के रुके कार्य पर विचार होगा. आज इसीएल व एमपीएल के अधिकारियों ने इस पर विचार-विमर्श किया.

कल के दौरे में ग्रैंड कॉर्ड लाइन की सुरक्षा पर भी बात होने की संभावना है, हालांकि रेलवे ने ट्रैक को सुरक्षित बताया है. इस बीच, तीसरे दिन भी दो ट्रैकमैन जितेंद्र कुमार एवं परमेश्वर हेंब्रम घटनास्थल पर तैनात रहे. इन्हें निर्देशित किया गया है कि अगर भू-धंसान का दायरा बढ़ता है तो तुरंत वरीय अधिकारियों को सूचना दें. रेलवे ने प्रभावित क्षेत्र से ट्रेनों के गुजरने की स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटा से बढ़ा कर 50 किमी कर दिया है.

एमपीएल के रेल प्रोजेक्ट को लगी बुरी नजर : एमपीएल के लिए यह रेललाइन अति महत्वाकांक्षी परियोजना है. प्रोजेक्ट का शिलान्यास साल 2009-10 में हुआ था. इसे वर्ष 2014 में पूरा कर लेना था, लेकिन 61 एकड़ जमीन अधिग्रहण एवं करीब तीन हजार लोगों के विस्थापन की समस्या कार्य में रुकावट पैदा करती रही. जमीन के मालिकाना हक में काफी गड़बड़झाला हुई. निरसा से लेकर झारखंड विधानसभा तक गड़बड़ी को ले आवाज बुलंद हुई.

अंतत: प्रबंधन ने राजनीतिक दलों के सहयोग से समस्या का समाधान कर लिया और कार्य शुरू किया. नयी तारीख के हिसाब से योजना साल 2021 के अंत तक पूरी करनी थी, तभी भू-धंसान की घटना हो गयी. एमपीएल का यह प्रोजेक्ट करीब 575 करोड़ रुपया का है. योजना धरातल पर उतर जाने के बाद ही एमपीएल सेकेंड फेज का विद्युत उत्पादन करेगा. अभी एमपीएल में 1050 मेगावाट तक विद्युत उत्पादन होता है. रेललाइन बनने के बाद क्षमता डबल यानी 2100 मेगावाट हो जायेगी.

यह पूर्वांचल के राज्यों में बड़ा प्रोजेक्ट होगा. ट्रैक निर्माण के बाद रेलवे वैगन से एमपीएल को कोयला ट्रांसपोर्टिंग कर सकेगी. थापरनगर स्टेशन से निकलकर रैक श्यामपुर, खुदिया फाटक, महताडीह, बीरसिंहपुर, पांडरा, कुंथल, पाकतोड़िया, पोद्दारडीह, कृष्णकनाली, बेलडांगा मौजा होते हुए एमपीएल कोल यार्ड में सीधे प्रवेश कर जायेगा. थापरनगर स्टेशन के समीप जिस स्थान पर भू-धंसान हुई है, वह जमीन रेलवे की है. ग्रैंड कॉर्ड लाइन से सटी जमीन को रेलवे ने ही एमपीएल को उपलब्ध करवायी है.

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