शीतल पेय बनाने वाली कंपनियों के पेय पदार्थों पर रोक लगाने संबंधी याचिका (PIL) दायर करना क्या इतना महंगा पड़ा सकता, इस बारे में शायद याचिकाकर्ता ने भी नहीं सोचा होगा. सुप्रीम कोर्ट ने भारत में शीतल पेय (Cold Drink) बनाने वाली कंपनी के पेय पदार्थों की बिक्री पर पाबंदी लगाने के लिये दायर याचिका बृहस्पतिवार को खारिज करने के साथ ही याचिकाकर्ता पर पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करते हुये याचिकाकर्ता उमेद सिंह पी चावड़ा की याचिका खारिज की.
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कोर्ट ने कहा कि हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अनुच्छेद 32 ( Article 32 of the Constitution) के तहत एक जनहित याचिका में अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल इस तरह नहीं किया जा सकता. याचिकाकर्ता पर अनुकरणीय जुर्माना जरूरी है.
खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाले चावड़ा ने याचिका में दावा किया था कि ये शीतल पेय स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हैं। हालांकि, पीठ ने याचिका खारिज करते हुये कहा कि यह इस विषय के बारे में बगैर किसी तकनीकी जानकारी के ही दायर की गयी है और इसमें किये गये दावे के समर्थन में कुछ भी नहीं है.
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पीठ ने याचिकाकर्ता पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुये आदेश दिया कि यह राशि एक महीने के भीतर शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जमा करायी जाये, जिसे सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) को दिया जायेगा.
दोनों कंपनियों के उत्पाद की बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के अलावा, चावडा द्वारा दायर जनहित याचिका में सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर लोगों को शराब न पीने और इसका इस्तेमाल करने से बचने के लिए अधिसूचना जारी करने की मांग की गई, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.
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