जुलाई माह में बोर्ड परीक्षा शुरू करने की घोषणा करते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की अधिसूचना को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. ये याचिका बारहवीं बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए निर्धारित छात्रों के अभिभावकों द्वारा दायर की गई है.
इस याचिका में ये दलील दी गई है कि इस वर्ष छात्रों के बोर्ड की परीक्षा के परिणाम आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर घोषित किए जाए. सीबीएसई द्वारा अधिसूचित नए कार्यक्रम के अनुरूप जुलाई में बारहवीं बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए निर्धारित छात्रों के अभिभावकों द्वारा याचिका दायर की गई है. कोविड-19 महामारी के संक्रमण पर बढ़ती चिंता के मद्देनजर, याचिकाकर्ताओं ने कहा कि एम्स के आंकड़ों के अनुसार, उस वक्त भारत में महामारी अपने चरम पर होगी.
लाखों छात्रों की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए, दलील में कहा गया है कि वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या में वृद्धि के बीच अगर उन्हें परीक्षाओं में शामिल होना पड़ता है, तो उनमें कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.
याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि कई पेशेवर संस्थानों ने इस साल महामारी के कारण आयोजित होने वाली परीक्षाओं को रद्द कर दिया है. याचिका में इस मुद्दे पर भी चिंता जताई गई है कि एक परीक्षा केंद्र कोविड-19 के कॉटेंमेंट जोन में आ सकता है.
25 मई को मानव संसाधन और विकास मंत्रालय ने कहा था कि लगभग 15,000 परीक्षा केंद्रों में दसवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों के लिए परीक्षा आयोजित करने की घोषणा की थी, जो पहले 3,000 केंद्रों पर परीक्षा होनी थी.
यह भी बताया गया है कि कोविड-19 महामारी के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सीबीएसई ने विदेशों में स्थित लगभग 250 स्कूलों के लिए दसवीं और बारहवीं कक्षा की परीक्षाओं को रद्द कर दिया है. उन परीक्षाओं में अंकों का मूल्यांकन या तो आयोजित की गई व्यावहारिक परीक्षाओं के आधार पर या फिर आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर दिया जाएगा.
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन के कारण पिछले दो-तीम महिनों से विद्यालय में पढ़ाई पूरी तरह से बंद है. इसके अलावा परीक्षाओं को भी स्थगित कर दिया गया है. अब समय की कमी को देखते हुए सीबीएसई के सिलेबस में कटौती की जाने वाली है. मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने यह जानकारी एक ट्वीट के माध्यम से यह जानकारी दी है.
Posted By : Shaurya Punj