नयी दिल्ली : आम्रपाली मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को घर खरीदारों का लोन मंजूर करने का निर्देश दिया है, ताकि इस ग्रुप की अटकी परियोजनाओं का काम तेजी से शुरू किया जा सके. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि आरबीआई के दिशानिर्देशों के मुताबिक एनपीए (गैर निष्पादित आस्तियां) हो चुके लोन को रिलीज करने की अनुमति दी जाए.
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इसके अलावा, अदालत ने आम्रपाली मामले में शामिल बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी निर्देश दिया कि वे घर खरीदारों को दिये लोन पुनर्गठन करें. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुआई की पीठ ने बुधवार को यह फैसला सुनाया है. वह आम्रपाली की अटकी परियोजनाओं को पूरा करने और उन्हें स्थानांतरित करने के मामले पर सुनवाई कर रहे थे.
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिये गये इस फैसले से रीयल एस्टेट सेक्टर को बड़ी राहत मिली है. यह सेक्टर लंबे समय से आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोएडा प्राधिकरण को भी निर्देश दिया कि वह भुगतान में देरी होने पर बहुत ज्यादा ब्याज नहीं वसूल सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देर से भुगतान होने पर प्राधिकरण अधिक से अधिक 8 फीसदी का ब्याज ले सकता है.
रीयल एस्टेट सेक्टर की अटकी परियोजनाओं पर न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को मिलकर एक शिड्यूल तैयार करना होगा. उनके निवेश का फायदा घर खरीदारों को नहीं होता है.
सुप्रीम कोर्ट ने 3 जून को नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्प (एनबीसीसी), एसबीआई कैपिटल और सीनियर एडवोकेट आर वेंकटरमानी को कोर्ट रिसीवर नियुक्त किया था. साथ ही यूको बैंक को एक संयुक्त बैठक करने और अगले हफ्ते कोर्ट में एक फाइनल प्रपोजल जमा करने को कहा था कि आम्रपाली की अटकी परियोजनाएं कैसे पूरी होंगी.
गौरतलब है कि आम्रपाली में करीब 46,000 घर खरीदारों का पैसा पिछले एक दशक से भी लंबे समय से फंसा हुआ है. इनमें से कई लोगों को अभी तक घर नहीं मिला है, क्योंकि फ्लैट का काम पूरा नहीं हुआ है. कंपनी के मालिक ने पैसों का इस्तेमाल कहीं और कर लिया, जिसकी वजह से आम्रपाली की परियोजनाएं अटक गयीं.
Posted By : Vishwat Sen
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