15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कोरोना से बचाव का उपाय जल्द खोजेंगे आदिवासी

कोल्हान विवि के जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा विभाग के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का मंगलवार को राष्ट्र गान के साथ समापन हुआ.

चाईबासा : कोल्हान विवि के जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा विभाग के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का मंगलवार को राष्ट्र गान के साथ समापन हुआ. इस दौरान वैश्विक महामारी कोरोना के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को उपयोगी बताया गया. कोरोना को मात देने के लिए जड़ी-बूटी व पारंपरिक जीवन शैली को अहम बताया गया.

उम्मीद जतायी गयी कि आदिवासी समाज के लोग महामारी से बचने का उपाय जरूर निकाल लेंगे. वक्ताओं ने कहा कि लॉकडाउन जैसी प्रथा हमारे संस्कार में प्राचीन काल से है. उन्होंने प्रकृति प्रेम व भारतीय संस्कार पर बल दिया. वेबिनार में कुल चार वक्ताओं ने संबोधित किया.

सबसे पहले रांची विश्वविद्यालय के डॉ वृंदावन महतो ने कुड़मी जीवन पद्धति पर प्रकाश डाला. उन्होंने प्रकृति प्रद्त खान-पान से रोग प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि की बात रखी. वहीं रांची विश्वविद्यालय की डॉ. दमयंती सिंकू ने हो जीवन शैली पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला. उन्होंने नीम का पत्ता, हल्दी, महुआ आदि कोरोना महामारी में उपयोगी बतायी. जबकि डॉ. नितिशा खलको ने कहा कि हमारे संस्कार में लॉकडाउन जैसी प्रथा प्राचीन काल से है.

उरांव और मुंडा जनजातीय जीवन पद्धति पर अपनी बात रखी. अपने घरों में सुरक्षित रहें. आदिवासी समाज के लोग इस महामारी से बचने का उपाय जरूर निकालेंगे. कई लोग इसमें लगे हुए हैं. विश्वभारती विश्वविद्यालय शांति निकेतन से जुड़े डॉ. धानेश्वर माझी ने संताली जीवन शैली का जिक्र करते हुए व्यक्तिगत दूरी को प्राथमिकता देने पर जोर दिया. किसी को घबराने की आवश्यकता नहीं है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें