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किसानों का हित सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता, खेती करने में नहीं होगी परेशानी : प्रेम कुमार

बिहार के कृषि मंत्री ने मंगलवार को कहा कि कृषि विभाग द्वारा खरीफ मौसम के मद्देनजर खरीफ फसलों की खेती करने हेतु सभी आवश्यक कृषि उपादानों जैसे बीज, उर्वरक, कीटनाशी आदि किसानों को समय से पूर्व उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गयी है.

पटना : बिहार के कृषि मंत्री ने मंगलवार को कहा कि कृषि विभाग द्वारा खरीफ मौसम के मद्देनजर खरीफ फसलों की खेती करने हेतु सभी आवश्यक कृषि उपादानों जैसे बीज, उर्वरक, कीटनाशी आदि किसानों को समय से पूर्व उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गयी है. कृषि मंत्री ने कहा कि इस वर्ष खरीफ मौसम में राज्य में 33 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान, 4.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का, 1.50 लाख हेक्टेयर में दलहनी फसल एवं 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मोटे अनाजों की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस सरकार, बिहार में 39.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कुल खाद्यान्नों की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

मंत्री प्रेम कुमार ने बताया कि इसके अतिरिक्त बिहार में 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में तेलहनी फसलों, 1.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जूट की खेती तथा 5 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मेस्ता की खेती की जायेगी. उन्होंने कहा कि इस वर्ष खरीफ मौसम में राज्य में 4,89,800 क्विटल धान के बीज की आवश्यकता होगी. जिसके विरुद्ध 4.95.925 क्विंटल बीज उपलब्ध है. इसी प्रकार, खरीफ मौसम में 4.680 क्विंटल अरहर, 1,404 क्विंटल उरद, 3,960 क्विंटल सोयाबीन, 396 क्विंटल मूंगफली तथा 3,072 क्विंटल जूट फसल के बीज की आवश्यकता होगी. जिसके विरुद्ध क्रमश: 6,096 क्विंटल अरहर, 12,521 क्विंटल उरद, 8,269 क्विटल सोयाबीन, 2.233 क्विंटल मूंगफली तथा 1,873 क्विंटल जूट फसल का बीज उपलब्ध है.

कृषि मंत्री ने कहा कि खरीफ मौसम में बीज की कोई कमी नहीं है. राज्य के जिन जिलों में अगात खेती होती है, वहां अप्रैल माह में ही बीज पहुंचा दिया गया था. शेष जिलों में भी किसानों को आवश्यकतानुसार पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध है. इस वर्ष से राज्य के सभी जिलों में बिहार राज्य बीज निगम द्वारा बीज की होम डिलीवरी की व्यवस्था की गयी है. किसान अपनी इच्छानुसार स्वयं जाकर अथवा होम डिलीवरी के माध्यम से बीज प्राप्त कर सकेंगे.

डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि पूरे खरीफ मौसम में राज्य के लिए 10 लाख मैट्रिक टन यूरिया तथा 3 लाख मैट्रिक टन डीएपी खाद की आवश्यकता होगी. इसके अतिरिक्त 15 लाख मैट्रिक टन एनपीके एवं 1 लाख मैट्रिक टन एमओपी की आवश्यकता का अनुमान है. 8 जून तक 2 लाख 40 हजार मैट्रिक टन यूरिया के आवश्यकता के विरुद्ध 4 लाख 46 हजार 950 मैट्रिक टन यूरिया आवंटित किया गया है.

इसी प्रकार अब तक 1 लाख 20 हजार डीएपी की आवश्यकता के विरुद्ध 2 लाख 39 हजार 750 मैट्रिक टन डीएपी आवंटित किया गया है. अब तक राज्य में 70 हजार मैट्रिक टन एनपीके एव 55 हजार मैट्रिक टन एमओपी की आवश्यकता है. इसके विरुद्ध क्रमशः 1 लाख 20 हजार मैट्रिक टन एनपीके तथा 78 हजार मैट्रिक टन एमओपी आवंटित है. इस प्रकार खरीफ मौसम में राज्य में किसी भी उर्वरक की कोई कमी नहीं होगी.

कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार का यह प्रयास है कि कोरोना महामारी के कारण लागू लॉकडाउन में भी राज्य में कृषि का कार्य प्रभावित न हो. इसके लिए सरकार द्वारा आवश्यक दिशा-निर्देश एवं तैयारियां पूरी कर ली गयी है. किसानों को खेती करने में कोई परेशानी नहीं हो, इसके लिए कृषि विभाग द्वारा हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. किसानों का हित सरकार के सर्वोच्च प्राथमिकता में है.

डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि खेती में मजदूरी के अतिरिक्त कृषि के क्षेत्र में स्थायी रोजगार के लिये कुछ विकल्प के रूप में कृषि आधारित खाद्य प्रसंस्करण इकाई की स्थापना को प्रोत्साहित किया जा सकता है. इससे जहां एक ओर बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. वहीं, दूसरी ओर किसानों को उनके फसल का अच्छा मूल्य मिल पायेगा. बड़े पैमाने पर इंटीग्रेटेड एग्रीकल्चर कसल्टेशन-कम-एग्री बिजनेश सेंटर की स्थापना की जा सकती है, जिसके माध्यम से किसानों को कृषि परामर्श के साथ-साथ कृषि उपादान जैसे बीज, उर्वरक, कीटनाशी एवं कृषि यंत्र उपलब्ध हो पायेंगे. इससे भी स्कील्ड पर्सन को रोजगार मिल पायेगा तथा किसानों को फायदा होगा.

उन्होंने कहा कि राज्य में बड़े पैमाने पर कृषि यांत्रिकरण हुआ है. अधिकांश किसानों के पास कोई-ना-कोई कृषि यंत्र है. परंतु उसके मरम्मती के लिए स्कील्ड मैकेनिक पर्याप्त संख्या में नहीं हैं. इसलिए बेरोजगार युवकों का स्किल डेवलपमेंट कर छोटे-छोटे सर्विसिंग सेंटर खोलने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है. इसमें भी बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेंगे. ग्रामीण स्तर पर कृषि उपादनों जैसे क्वालिटी सीड, फर्टिलाइजर, पेस्टीसाइड्स आदि के लिये योग्य बेरोजगार व्यक्तियों को लाइसेंस देकर दुकान खोलने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है.

वहीं, महिलाओं को सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर कृषि आधारित गृह उद्योग स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है. शहद, मखाना, मगही पान का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग की व्यवस्था की जा सकती है. इससे नीचे लेवल पर छोटे-छोटे इंटरप्रेन्योर विकसित होंगे, जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं.

कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य में नये-नये फसलों की खेती को प्रोत्साहित किया जा सकता है, जैसे ड्रैगन फ्रूट, स्ट्रॉबेरी, ब्लैक राइस, ब्लैक व्हीट, चिया सीड, मिलेट्स आदि की खेती में कम एरिया में अधिक आमदनी प्राप्त हो सकती है. इससे अधिक-से-अधिक लोग खेती की ओर आकर्षित होंगे. मेडिसनल एंड एरोमेटिक प्लांट्स की खेती को प्रोत्साहित किया जा सकता है. पंचायत या प्रखंड स्तर पर निजी क्षेत्र में कृषि बाजार/मंडी की स्थापना को प्रोत्साहित किया जा सकता है तथा इसे बड़ी मंडियों से जोड़ा जा सकता है.

इससे लोगों को रोजगार मिलेगा के साथ ही किसानों को उनके फसल उत्पादों को बेचने के लिए दूर शहर में नहीं जाना पड़ेगा. राज्य में बीज उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सकता है. बीज उत्पादन के क्षेत्र में भी रोजगार की काफी संभावनाएं हैं. निजी स्तर पर फसल अवशेष प्रबंधन इकाई की स्थापना को प्रोत्साहित किया जा सकता है. फसल अवशेषों से कई प्रकार की चीजें जैसे कप-प्लेट पेपर, पेटिग आदि बनाये जा सकते हैं. इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा. साथ ही, खेतों में फसल अवशेषों को जलाने की समस्याओं से मुक्ति भी मिलेगी. उन्होंने कहा कि कृषि के अतिरिक्त पशुपालन, मत्स्यपालन तथा डेयरी के क्षेत्र में भी रोजगार की काफी संभावनाएं हैं.

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