जमशेदपुर टीबी विभाग की बहाली में अनियमितता का मामला उजागर हुआ है. बहाली में चुनिंदा प्रत्याशियों को लाभ पहुंचाने के लिए परीक्षा के आयोजन में भी अनियमितता बरती गयी. गलत आचरण और व्यवहार के लिए ओएसटी की डाटा मैनेजर पूर्णिमा कर्मकार का अनुबंध खत्म कर सेवा मुक्त करने की अनुशंसा करने के बाद उसे आनन-फानन में टीबी विभाग में सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर (एसटीसी) का प्रभार दिला दिया गया, वह भी वर्तमान पद से बिना इस्तीफा दिये.
सदर अस्पताल की जांच टीम ने पूर्णिमा कर्मकार का अनुबंध रद्द करने की अनुशंसा दो सप्ताह पूर्व ही कर दी थी, लेकिन उसकी रिपोर्ट का दबाकर उनकी ज्वाइनिंग करा दी गयी है.स्वास्थ्य विभाग की स्वीकृति पर रिवाइज्ड नेशनल टोबैको कंट्रोल प्रोग्राम के तहत अनुबंध पर अलग-अलग श्रेणी में 18 पदों के लिए नियुक्ति निकाली गयी थी. बताया जाता है कि एडमिट कार्ड जारी करने से लेकर लिखित परीक्षा तक में नियमों का पालन नहीं किया गया.
कोरोना संक्रमण के बीच दो दिन पूर्व सभी पदों के लिए चयनित उम्मीदवारों की सूची जारी की गयी. दिलचस्प बात यह है कि चयनित अधिकांश लोग किसी ने किसी रूप से स्वास्थ्य विभाग से जुड़े हुए हैं. सदर अस्पताल से सेवा मुक्त की अनुशंसा वाली ओएसटी की डाटा मैनेजर पूर्णिमा कर्मकार का चयन तो तीन-तीन पदों के लिए हो गया है. इसमें एकाउंटेंट और सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर में सीधे तौर पर चुनी गयी हैं, जबकि एक पद में उनका चयन प्रतीक्षा सूची में टॉप पर हैं.
टीबी विभाग की बहाली प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए ह्यूमन राइट्स एंड कंज्यूमर्स प्रोटेक्शन काउंसिल के अध्यक्ष डॉ अनिल कुमार ने सिविल सर्जन को पत्र भेजकर पूरी प्रक्रिया की जांच कराने का अनुरोध किया है.
जांच कमेटी की सेवा मुक्त करने की अनुशंसा पर दोनों कर्मचारियों को नोटिस कर स्वास्थ्य विभाग को मंतव्य लिखा गया है. जहां तक एक कर्मचारी के दूसरे विभाग में योगदान देने की बात है, तो उस पद के लिए पहले लिखित परीक्षा और इंटरव्यू हो चुका था, जबकि वह आरोप में दोषी बाद में पायी गयी है. नियमानुसार इस मामले में कार्रवाई की जायेगी. डॉक्टर महेश्वर प्रसाद, सिविल सर्जन .