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क्या पिता की तरह ही फिर कांग्रेस में शमिल होंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया ? ट्विटर प्रोफाइल से हटाया भाजपा टैग

भाजपा (BJP) नेता 'महाराज' ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) प्रेशर पॉलिटिक्स खेलने में महिर हैं. इस बार भी उन्होंने ऐसा काम किया है जिसकी चर्चा राजनीति जगत में हो रही है. सभी ये कयास लगा रहे हैं कि कहीं 'महाराज' का मन (CONGRESS) बदल तो नहीं गया. खैर आइए आपको आगे बताते हैं कि आखिर बात क्या है.

भाजपा नेता ‘महाराज’ ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रेशर पॉलिटिक्स खेलने में महिर हैं. इस बार भी उन्होंने ऐसा काम किया है जिसकी चर्चा राजनीति जगत में हो रही है. सभी ये कयास लगा रहे हैं कि कहीं ‘महाराज’ का मन बदल तो नहीं गया. खैर आइए आपको आगे बताते हैं कि आखिर बात क्या है.

दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कथित तौर पर अपने ‘ट्विटर’ अकाउंट से भाजपा का चिन्ह हटा दिया है. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर पब्लिक सर्वेंट लिख दिया है. यदि आपको याद हो तो कांग्रेस छोड़ने से पहले भी उन्होंने ट्विटर अकाउंट से कांग्रेस हटा दिया था. इस मामले को लेकर हालांकि अभी तक भाजपा या सिंधिया की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है.

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क्या पिता माधवराव की तरह ही फिर कांग्रेस में होंगे शामिल ?

यहां आपको पुरानी बात ताजा करा देते हैं. साल 1993 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता स्व. माधवराव सिंधिया दिग्विजय सिंह की सरकार से अलग हो गए थे. माधवराव सिंधिया ने पार्टी में उपेक्षा के कारण कांग्रेस को छोड़ दिया था. फिर बाद में उन्होंने मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस पार्टी बनाई था. हालांकि बाद में माधवराव सिंधिया कांग्रेस पार्टी में वापस लौट आए थे.

सिंधिया के पिता के करीबी ने थामा कांग्रेस का दामन

आपको बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद विधानसभा के आगामी उपचुनावों के मद्देनज़र कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के ग्वालियर क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के उदेश्य से भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री बालेन्दु शुक्ला को शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की उपस्थिति में पार्टी में शामिल कर लिया. शुक्ला, बसपा और भाजपा से होते हुए वापस कांग्रेस में आए हैं. राजनीति की शुरुआत उन्होंने कांग्रेस से ही की थी और कभी स्वर्गीग माधवराव सिंधिया के खास माने जाते थे. वर्ष 1993-98 के बीच प्रदेश में कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शुक्ला ने कई अहम विभागों के लिये काम किया.

शुक्ला से कांग्रेस को कितना होगा लाभ ?

पार्टी सूत्रों के अनुसार शुक्ला, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के बचपन के मित्र थे, लेकिन उनके निधन के बाद उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के सक्रिय राजनीति में आने के बाद ग्वालियर के पूर्व राजघरानों के निवास में उनका प्रवेश बंद हो गया. बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश में विधानसभा के होने वाले 24 सीटों के उपचुनाव में ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की 16 सीटें हैं और भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने शुक्ला को अपने खेमे में शामिल किया है.

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