रांचीः ये हैं शत्रुघ्न पांडे. झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय जमशेदपुर से सटे एशिया के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र आदित्यपुर में पत्नी और बच्चों के साथ रहते हैं. देश पर जब कोरोना वायरस का संकट छाया और पूरे देश में लॉकडाउन लग गया. लाखों लोग दाने-दाने को मोहताज हो गये, उस वक्त इनके मन में अपनी पत्नी को उद्यमी बनाने का आइडिया आया. शत्रुघ्न ने पत्नी मीना पांडे के साथ एक शुरुआत की, जो उद्यमी बनने की ओर पहला कदम था.
Prabhatkhabar.com से बातचीत में टाटा स्टील में कॉन्ट्रैक्टर के अधीन काम करने वाले शत्रुघ्न पांडेय ने बताया कि उन्होंने पत्नी के साथ मिलकर समाज सेवा करने की सोची. हाथ पोंछने के लिए जो कपड़े मिलते हैं, उससे पत्नी को मास्क बनाने का आइडिया दिया. मीना देवी ने टाटा सीएसआर के तहत सिलाई का काम सीखा था. सो, पति के आइडिया पर काम करने लगीं. होजियरी फैक्टरी के बेकार टुकड़ों से घर पर मास्क सीने लगीं.
मीना देवी मास्क बनातीं और शत्रुघ्न पांडे उसे कंपनी में काम करने वाले उन कामगारों में बांट देते, जिन्हें इसका महत्व नहीं मालूम था. टाटा स्टील के प्लांट में सुरक्षा कारणों से मास्क पहनना जरूरी था. इसलिए श्री पांडे ने इसे मुफ्त में कामगारों के बीच बांटना शुरू कर दिया. मास्क को सैनिटाइज करके. उन्हें यह भी बताते कि जब भी वे घरसे बाहर निकलें, मास्क को सैनिटाइज करके जरूर पहनें.
मीना देवी घर में 5-10 जो भी मास्क बनातीं, उसे शत्रुघ्न पांडे टाटा स्टील में बांट आते. मूल रूप से बिहार की राजधानी पटना के बीहट निवासी शत्रुघ्न ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद बड़े भाई के पास जमशेदपुर चले आये. वे टाटा स्टील में काम करते थे. उनकी सिफारिश पर ही ठेकेदार के अंडर में शत्रुघ्न को भी कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी मिल गयी. आज वह मेंटनेंस डिपार्टमेंट में सुपरवाइजर हैं.
पटना के अनीशाबाद स्थित रामलखन सिंह यादव कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई करने वाले शत्रुघ्न इस वक्त समाज सेवा के इरादे से ही मास्क बनवाते और बांटते हैं. इसका कॉमर्शियल उत्पादन अभी करने का इरादा नहीं है. लेकिन, यदि आने वाले समय में मास्क की डिमांड बढ़ी और उनकी पत्नी को ऑर्डर मिला, तो वह अपनी अर्द्धांगिनी को उद्यमी जरूर बनायेंगे.
कथित तौर पर चीन के वुहान शहर से दुनिया भर में फैला कोविड19 का संक्रमण संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है. इसलिए इस संक्रमण से बचने के लिए डॉक्टर मास्क का सदैव इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं. जब लोगों को इसकी जरूरत महसूस हुई, तो व्यापारियों ने मास्क के दाम चढ़ा दिये.
दूसरी ओर, शत्रुघ्न पांडे और मीना देवी जैसे लोग भी समाज में हैं, जिन्होंने मास्क बनाकर न केवल जरूरतमंदों की मदद की, बल्कि अन्य लोगों को प्रेरित भी किया. इनसे प्रभावित होकर इनके बड़े भाई की पुत्र वधु प्रीति ने भी मास्क बनाना शुरू कर दिया. इसका एकमात्र उद्देश्य समाजसेवा है. मास्क बनाने के बिजनेस के बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं.
Posted By : Mithilesh Jha