पटना : उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को कहा है कि सभी पंचायतों में पेड़-पौधों का रजिस्ट्रेशन करवाया जायेगा. प्रवासी पक्षियों के अध्ययन के लिए चौथा मॉनीटरिंग स्टेशन खोला जायेगा. अब चिड़ियाघरों के महत्वपूर्ण जानवरों के कैज की लाइव स्ट्रीमिंग की जायेगी जिसे दुनिया भर के लोग देख सकेंगे. जैव विविधता अधिनियम के तहत 7505 पंचायताें में 136 नगर निकायों में जैव विविधता प्रबंधन समिति का गठन किया है. मोदी शुक्रवार को विश्व पर्यावरण दिवस पर संवाद में ‘कोरोना–मानवता को प्रकृति का संदेश’ विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रहे थे.
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब लॉकडाउन के दौरान आदमी वायरस के डर से घरों में बंद हो गया तो जानवर सड़कों पर आ गये. यह स्थिति दोबारा नहीं आयेगी. ऐसे में इस विषय पर सोचना होगा कि यह स्थिति मेंटेन कैसे रहे? उन्होंने कहा कि राज्य में फॉरेस्ट एरिया के गुणवत्ता और सघनता में बढ़ोतरी हुई है.
136 नगर निकायों में जैव विविधता प्रबंधन समिति का गठन : वीटीआर में टाइगर के हैबीटेट का बेहतर प्रबंधन हुआ है. भोजपुर, बक्सर और रोहतास में काले मृग का लोगों के सहयोग के कारण संरक्षण हुआ है. भागलपुर के कदवा दियारा में गरुड़ का संरक्षण किया जा रहा है. 1700 से 1800 डॉल्फिन गंगा और गंडक में हैं. उन्होंने कहा कि पटना जू के एक-एक जानवर पर वीडियो फिल्म बनाकर 38 एपिसोड बनाये गये. इसे 20 लाख से अधिक लोगों ने देखा.
सरकार बनाये ग्रीन तकनीक की नीति : केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के पूर्व सचिव सीके मिश्रा ने कहा कि सरकार को ग्रीन तकनीक की नीति बनाकर इससे आधारित उद्योग को बढ़ावा देना चाहिए. कोविड और लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण खत्म हो गया था. आसमान नीला था. उस दौरान गाड़ियों का आवागमन और फैक्टरियां बंद थीं. स्पष्ट है कि प्रदूषण की वजह कम्बसन में है. आगे सरकारों को इसपर नियंत्रण की नीति बनानी चाहिए. इ-व्हेकिल की तरफ बढ़ना चाहिए. ग्रीन तकनीक के तहत ही कोई उद्योग खड़ा हो. राज्य सरकारों को नीति बनानी चाहिए.
ज्यादातर महामारी जानवरों से आये : टेरी के डीजी डॉ अजय माथुर ने वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर कहा कि विचार करने का समय है कि हमलोग क्या कर सकते हैं कि ऐसी महामारी फिर से ना फैले. ज्यादातर महामारी जानवरों से आये हैं. अब वन्य जीवों से भी हमारा संबंध बदलेगा. जानवरों का परिवेश सिकुड़ रहा है, वे अपने परिवेश से निकल रहे हैं. ऐसे में व्यवस्था बनानी होगी कि जानवरों के परिवेश में बाधा नहीं पड़े.