21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार : आज से ठीक 39 साल पहले हुआ था देश का सबसे बड़ा रेल हादसा, नदी में समा गयी थी ट्रेन

39 साल पूर्व आज ही के दिन 6 जून 1981 का वक्त, जिसे याद करने के बाद आज भी लोगों की रूह कांप जाती है. जब देश का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल हादसा हुआ था.

सहरसा : 39 साल पूर्व आज ही के दिन 6 जून 1981 का वक्त, जिसे याद करने के बाद आज भी लोगों की रूह कांप जाती है. जब देश का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल हादसा हुआ था.जिसमें सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गये थे. वह मनहूस दिन था, जब नौ डिब्बों की एक ट्रेन यात्रियों से खचाखच भरी मानसी से सहरसा की ओर जा रही थी. सभी यात्री अपने काम में व्यस्त थे. कोई बात करने में मशगूल था, तो कोई मूंगफली खा रहा था. कोई अपने रोते बच्चों को शांत करा रहा था, तो कोई उपन्यास बढ़ने में व्यस्त था. इसी वक्त अचानक ट्रेन हिलती है. यात्री जब तक कुछ समझ पाते, तब तक ट्रेन पटरी छोड़ लबालब भरी बागमती नदी में समा गयी.

काल के गाल में समा गये थे सैकड़ों यात्री

मानसी तक ट्रेन सही सलामत बढ़ रही थी. शाम तीन बजे ट्रेन बदला घाट पहुंची. थोड़ी देर रुकने के बाद ट्रेन धीरे-धीरे धमारा घाट की ओर प्रस्थान करने लगी. ट्रेन ने कुछ ही दूरी तय की थी कि मौसम खराब हो गया. उसके बाद तेज आंधी शुरू हो गयी. फिर बारिश भी होने लगी. तब तक ट्रेन रेल के पुल संख्या 51 के पास पहुंच गयी थी. इधर ट्रेन में बारिश की बूंदे आने के कारण यात्री फटाफट अपने बोगी की खिड़की को बंद करने लगे. पुल पर चढ़ते ही ट्रेन एक बार जोर से हिली. ट्रेन में बैठे यात्री डर से कांप उठे. ईश्वर को याद करने लगे. तभी एक जोरदार झटके के साथ ट्रेन ट्रैक से उतर गयी और हवा में लहराते हुए बागमती में समा गयी. गया.

मृतकों की संख्या पर कंफ्यूजन

वर्ष 1981 के सातवें महीने का छठा दिन 416 डाउन पैसेंजर ट्रेन के यात्रियों के लिए अशुभ साबित हुआ और भारत के इतिहास में सबसे बड़ी रेल दुर्घटना में शुमार हुआ. घटना के बाद तत्कालीन रेलमंत्री केदारनाथ पांडे ने घटनास्थल का दौरा किया. हालांकि, घटना के बाद रेलवे द्वारा बड़े पैमाने पर राहत व बचाव कार्य चलाया गया. लेकिन रेलवे द्वारा घटना में दर्शायी गयी मृतकों की संख्या पर आज भी कन्फ्यूजन है. क्योंकि सरकारी आंकड़े जहां मौत की संख्या सैकड़ों में बताते रहे. वहीं अनधिकृत आंकड़ा हजारों का था. कई ग्रामीणों ने बताया कि बागमती रेल हादसे में मरने वालों की संख्या हजारों में थी. ग्रामीणों ने बताया कि नदी से शव मिलने का सिलसिला हफ्तों चला. ज्ञात हो कि विश्व की सबसे बड़ी ट्रेन दुर्घटना श्रीलंका में 2004 में हुई थी. जब सुनामी की तेज लहरों में ओसियन क्वीन एक्सप्रेस विलीन हो गयी थी. उस हादसे में सत्रह सौ से अधिक लोगों की मौत हुई थी.

हादसे से उजड़ गये कई परिवार 

39 साल पूर्व हुए भीषण रेल हादसे ने वैसे तो कई घरों के चिरागों को बुझा दिया, परंतु इस हादसे ने कई हंसते-खेलते परिवारों को भी खत्म कर दिया. ऐसा ही एक परिवार बिहार के सहरसा में है. जिसके 11 सदस्य इस घटना में काल के मुंह में समा गये. सहरसा जिला अंतर्गत सिमरी बख्तियारपुर के मियांचक में स्थित एक खंडहरनुमा घर भारत के सबसे बड़े रेल हादसे से मिले जख्म का परिणाम है. पड़ोसी मनोवर असरफ ने बताया कि बागमती हादसे के कुछ सालों बाद उनके चाचा जमील उद्दीन असरफ की मौत हो गयी. उन्होंने बताया कि बागमती रेल कांड ने इस घर के आगे का वंश तक को खत्म कर दिया. मनोवर असरफ ने बताया कि जमील उद्दीन असरफ के रिश्तेदार की बागमती रेल हादसे से एक-दो दिन पूर्व शादी हुई थी. उसी में पूरा परिवार रिश्तेदार के यहां गया था. छह जून को वे 11 महिला-पुरुष और बच्चे के साथ उस ट्रेन से घर लौट रहे थे. इधर, चाचा सहित सभी लोग सिमरी बख्तियारपुर स्टेशन पहुंच ट्रेन आने के इंतेजार में खड़े थे. ट्रेन नियत समय से काफी विलंब हो रही थी. विलंब के कारणों का भी पता नहीं चल पा रहा था. इसी उधेड़बुन के बीच एक दिल दहला देने वाली खबर आयी. किसी ने बताया कि ट्रेन बागमती में पलट गयी है. पहले तो हमें विश्वास नहीं हुआ परंतु थोड़ी ही देर में हादसे की विभीषिका से जुड़ी खबरें हमारे कानों में गूंजने लगी.

Posted By : Rajat Kumar

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें