Lunar Eclipse/Chandra Grahan Precaution For Pregnant Ladies: chandra grahan 2020 ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है. 5 जून की रात पड़ने वाले साल के दूसरे चंद्र ग्रहण से गर्भ को खतरा हो सकता है. इस दौरान कई नकारात्मक शक्तियां हावी हो जाती हैं. इसे लेकर ज्यातिष की अपनी मान्यता है ही साथ ही साथ कुछ वैज्ञानिक फैक्टस भी है. आइये जानते हैं, इस बारे में क्या कहते हैं ज्योतिष एक्सपर्ट सुनिल सिंह…
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बाहर नहीं जाने की सलाह दी जाती है. ज्योतिष विशेषज्ञ सुनिल कुमार सिंह की मानें तो इस ग्रहण देखने से गर्भ में पल रहे शिशु और मां दोनों को खतरा हो सकता है. इससे गर्व में पल रहे बालक पर दिमाग पर भी असर पड़ सकता है.
पंडित सुनिल सिंह बताते है कि इससे नवजात में जन्म से ही गंदे लाल चिन्ह दिख सकते हैं. अर्थात बच्चे को चर्म रोग भी होने की संभावना हो सकती है. उनके अनुसार इससे बच्चे को मानसिक और बौधिक परेशानियां भी संभव है.
इस दौरान गर्भवती महिलाओं को पहले से बना हुआ खाना भी नहीं खाना चाहिए. कोशिश करें कि इसे ग्रहण से पहले ही समाप्त कर लें. एक्सपर्ट बताते है कि ग्रहण से निकलने वाली हानिकारक किरणें पके हुए खाने को दूषित कर देती है. अगर खाना घर में ज्यादा मात्रा में बचा हुआ है तो इसे फेंके नहीं बल्कि इसमें तुलसी का पत्ता डाल दें. इससे खाना शुद्ध हो जाता है. जिसे ग्रहण के बाद भी सेवन किया जा सकता है.
विशेषज्ञ बताते हैं कि ग्रहण के समाप्त होते ही गर्भवती महिलाओं को फौरन स्नान कर लेना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर पेट में पल रहे शिशु को त्वचा संबंधी रोगों का खतरा हो सकता है.
ग्रहण को सही नहीं माना जाता है. पंडित सुनिल सिंह बताते है कि इस दौरान गर्भवती महिलाओं को भगवान का मंत्र जाप करते रहना चाहिए. इससे आसपास उत्पन्न हुई नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जायेंगी और मां-बेटे की रक्षा करेंगी. हालांकि, इस दौरान भगवान की प्रतिमा को छूना वर्जित होता है.
सनातन धर्म में गंगा को पवित्र माना गया है. अत: किसी भी अशुभ कार्य की शुद्धि के लिए इसका प्रयोग सदियों से होता आ रहा है. यही कारण है कि ग्रहण के बाद गर्भवती महिलाओं को अपने आसपास गंगा जल का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है.
ग्रहण के दौरान प्रेग्नेंट महिलाओं को नुकिली चीजों से खतरा हो सकता है. यही कारण है कि उन्हें सिलाई, बुनाई के अलावा अपने पास सुई, चाकू आदि रखने की सलाह नहीं दी जाती है.
हालांकि, इस मामले में विज्ञान का कुछ और ही मानना है. दरअसल, इन सब के पीछे वैज्ञानिक कारण है. यह बस एक खगोलीय प्रक्रिया जो एक तय समय पर होती है. विज्ञान विशेषज्ञों की मानें तो आस्था अपनी जगह है, लेकिन, इस चक्कर में गर्भवती महिलाओं को ज्यादा देर भूखे नहीं रहना चाहिए. समय से अपना सारा कार्य करना चाहिए.
दरअसल, इस खगोलीय घटना के अनुसार जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे के पीछे लगभग सीधे अवस्था में आ जाते हैं तो तो सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती. इसी घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है. हालांकि, शास्त्रों की मानें तो यह घटना पूर्णिमा को ही घटित हो सकती है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.