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Weather Forecast: कभी सोचा है, मानसून यानी पानी वाले बादल बनते कैसे हैं? बढ़ाइए अपना GK

Weather Forecast, Latest Updates, Monsoon status: केरल में मानसून ने दस्तक दे दी है. मौसम विभाग ने अनुमान लगाया था कि दक्षिण-पश्चिम मानसून का मौसम 1 जून से शुरू हो चुका है. विभाग ने अगले दो दिनों के लिए केरल के नौ जिलों के लिए अलर्ट भी जारी किया है.वहीं अरब सागर में एक कम दबाव का क्षेत्र बनता जा रहा है. वहीं देश के कई राज्यों में भी प्री मानसून बारिश शुरू हो चुकी है. भारत में हर साल मानसून जून माह में शुरू होता है, जो सितंबर महीने तक जाता है. मौसम विभाग हर साल मानसून की बारिश को लेकर अनुमान लगाते हैं. भारत में 127 कृषि जलवायु सब-जोन हैं, इसके अलावा 36 जोन हैं. हिमालय, समुद्र और रेगिस्तान भी मानसून को प्रभावित करते हैं इसलिए मौसम विभाग भी सही अनुमान लगा नहीं पाता.

Monsoon Tracker, Weather Alert and Latest Updates: केरल में मानसून ने दस्तक दे दी है. मौसम विभाग ने अनुमान लगाया था कि दक्षिण-पश्चिम मानसून का मौसम 1 जून से शुरू हो चुका है. विभाग ने अगले दो दिनों के लिए केरल के नौ जिलों के लिए अलर्ट भी जारी किया है.वहीं अरब सागर में एक कम दबाव का क्षेत्र बनता जा रहा है. वहीं देश के कई राज्यों में भी प्री मानसून बारिश शुरू हो चुकी है. भारत में हर साल मानसून जून माह में शुरू होता है, जो सितंबर महीने तक जाता है. मौसम विभाग हर साल मानसून की बारिश को लेकर अनुमान लगाते हैं. भारत में 127 कृषि जलवायु सब-जोन हैं, इसके अलावा 36 जोन हैं. हिमालय, समुद्र और रेगिस्तान भी मानसून को प्रभावित करते हैं इसलिए मौसम विभाग भी सही अनुमान लगा नहीं पाता.

ऐसे बना है शब्द मानसून

वैसे मानसून तो अंग्रेजी शब्द है जो पुर्तगाली शब्द मान्सैओ से बना है. मानसून मूलरूप से अरबी शब्द मावसिम (मौसम) से आया है. आधुनिक डच भाषा में इस मॉनसन से भी कहते है.

भारत में ऐसे होती है बारिश

मानसून ऐसी मौसमी पवन है, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक चलती रहती है. यानि भारत में चार महीने बारिश का मौसम होता है. आम हवाएं जब अपनी दिशा बदल लेती हैं तब मानसून आता है. केरल के तट से सैकड़ों मील दूर मानसूनी हवाएं अपने साथ नमी लेकर आती हैं, जो धीरे-धीरे भारतीय महाद्बीप की ओर बढ़ती हैं. मानसूनी हवाएं ठंडे से गर्म क्षेत्रों की तरफ बहती हैं तो उनमें नमी की मात्रा बढ़ जाती है, जिस कारण बरिश होती है.

जानें भारत में कैसे प्रवेश करता है मानसून

भारत में पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर से कर्क रेखा निकलती है इसलिये इसका देश की जलवायु पर सीधा प्रभाव पड़ता है. इस कारण हमारे देश की जलवायु उष्णकटिबन्धीय हो जाती है. ये हवाएँ हिन्द महासागर और अरब महासागर की तरफ से उठती हैं और हिमालय की तरफ से आने वाली ठंडी हवाओं से मिलती हैं. जून से सितम्बर के बीच चार महीनों में जब ये हवाएँ आपस में देश के दक्षिण-पश्चिमी तट पर पश्चिमी घाट (केरल के इलाके में) टकराती हैं तो पूरे देश और पड़ोसी मुल्कों में भारी वर्षा कराती हैं. यह है दक्षिण-पश्चिम मानसून और ज्यादातर वर्षा इसी के असर से होती है.

भारत की जलवायु गर्म है, इसलिए यहां पर दो तरह की मानसूनी हवाएं चलती हैं. जून से सितंबर तक चलने वाली मानसूनी हवाएं दक्षिणी पश्चिमी मानसून कहलाती हैं, जबकि ठंडी में चलने वाली मानसूनी हवा, जो मैदान से सागर की ओर चलती है, उसे उत्तर-पूर्वी मानसून कहते हैं. यहां पर अधिकांश वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून से ही होती है.

हिंद महासागर और अरब सागर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आने वाली हवाओं को मानसून कहते हैं. ये हवाएं पानी वाले बादल ले आती हैं, जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश यानी भारतीय उपमहाद्बीप में बरसते हैं. मानसून ऐसी मौसमी पवन है, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक चलती रहती है. यानि भारत में चार महीने बारिश का मौसम होता है. आम हवाएं जब अपनी दिशा बदल लेती हैं तब मानसून आता है. केरल के तट से सैकड़ों मील दूर मानसूनी हवाएं अपने साथ नमी लेकर आती हैं, जो धीरे-धीरे भारतीय महाद्बीप की ओर बढ़ती हैं. मानसूनी हवाएं ठंडे से गर्म क्षेत्रों की तरफ बहती हैं तो उनमें नमी की मात्रा बढ़ जाती है, जिस कारण बरिश होती है.

मानसून का पूर्वानुमान

मानसून की अवधि 1 जून से 30 सितंबर यानी चार महीने की होती है. मानसून की भविष्यवाणी 16 अप्रैल से 25 मई के बीच कर दी जाती है. भविष्यवाणी के लिए भारतीय मानसून विभाग कुल 16 फैक्ट का अध्ययन करता है. 16 फैक्ट को चार भागों में बांटा गया है और सारे तथ्यों को मिलाकर मानसून के पूर्वानुमान निकाले जाते हैं.

दक्षिण-पूर्वी मानसून (आता मानसून)

हर साल मई के अन्तिम पखवाड़े से जून के शुरुआती दिनों तक हिन्द महासागर की ओर से आने वाली हवाओं के कारण भारतीय भू-भाग में होने वाली वर्षा को दक्षिण-पूर्वी मानसून कहते हैं.

उत्तर-पश्चिमी मानसून (यानी लौटता मानसून)

इसी तरह अक्टूबर-नवम्बर के आस-पास बंगाल की खाड़ी की ओर से लौटती हुई उन हवाओं को उत्तर-पूर्वी मानसून कहा जाता है जो तमिलनाडु से लेकर श्रीलंका और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया तक वर्षा के लिये जिम्मेदार है.

उत्‍तर-पूर्वी मानसून

यह शीतकालीन ऋतु के मानसून है. बंगाल की खाड़ी के ऊपर बहने के कारण जलीय वास्पिकरण द्वारा मेघमण्डल भारतीय पूर्वी तट के राज्यों में वृष्टि बादल के प्राकृतिक वातावरण सृष्टि करते हैं. विशेषतः तामिलनाडु एक ऐसा राज्य है जो शीतकालीन मानसून के प्रभाव से अधिक बारिश प्राप्त करता है और जीवनदायक सारे सम्पदों की उपलब्धता कराता है. वस्तुतः तामिलनाडु वर्षाकालीन बारिश से वन्चित रह जाता है क्योंकि नीलगिरी पर्वतमाला के पीछे होने के कारण मानसून के प्रभाव बहुत कम होते हैं.

जून में उत्तरी अमेरिका में भी होती है बारिश

उत्तरी अमेरिकी मानसून को शॉर्ट में गइ से भी जाना जाता है. ये मानसून जून के अंत या जुलाई के आरंभ से सितंबर तक रहता है. मानसून की नमी वाली हवाएं मैक्सिको की खाड़ी से बनता है, जोकि यूनाइटेड अमेरिका में जुलाई तक खूब बरसता है. उत्तरी अमेरिकी मॉनसून को समर, साउथवेस्ट, मैक्सिकन या एरिजोना मानसून के नाम से भी जाना जाता है. इसे कई बार डेजर्ट मानसून कहा जाता है, क्योंकि इसके प्रभावित क्षेत्रों में अधिकांश भाग मोजेव और सोनोरैन मरुस्थलों के हैं.

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