नयी दिल्ली : कोरोना वायरस के कारण देश में लगाये गये लॉकडाउन के कारण विभिन्न जगहों में फंसे मजदूरों को अपने-अपने गंतव्य तक पहुंचान के लिए रेल ने करीब 4000 से अधिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलायी. इधर रेलवे ने आज बयान जारी कर बताया कि 1 मई के बाद राज्यों की ओर से करीब 256 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का रद्द कर दिया गया.
रेलवे की ओर से बताया गया कि राज्य सरकारों ने एक मई से 256 श्रमिक विशेष ट्रेन रद्द की. इस सूची में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर रहे.
रेलवे ने एक बयान में बताया कि उसने 54 लाख फंसे हुए यात्रियों को घर पहुंचाने के लिए 4000 श्रमिक विशेष ट्रेनें चलायी हैं. रेलवे ने बताया कि श्रमिक विशेष के संबंध में राज्यों की मांग पर ट्रेनें देने में समर्थ रहा है लेकिन ऐसी कई घटनाएं सामने आयी हैं जहां यात्रियों को स्टेशन पर नहीं लाया गया और अधिसूचित ट्रेनें रद्द कर दी गयीं. कुछ राज्य श्रमिकों को भेज रहे राज्यों को सहमति भी नहीं दे रहे हैं.
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र पर यात्रियों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया था. हालांकि राज्यों ने इस आरोप का खंडन किया था. रेलवे ने कहा कि वह श्रमिकों को भेजने वाले राज्यों से मिले सभी अनुरोधों को अबतक समायोजित करने में समर्थ रहा है तथा कई राज्यों ने अपनी जरूरत घटा दी है जो इसका संकेत है कि काम पूरा होने के करीब है.
रेलवे ने बताया, यह भी गौर करने वाली बात है कि करीब 75 फीसद ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार जाने वाली थी एवं बाकी का भी गंतव्य पूर्वी भारत था. रेलवे ने यह भी कहा कि वह राज्य सरकारों के अनुरोधों पर राज्यों के अंदर ही लोगों की आवाजाही की जरूरत पूरा करने में मदद के लिए आगे आया एवं उसने ऐसी ट्रेनों की व्यवस्था की. राज्यों को मंत्रालय की ओर से लिखे गय पत्र के अनुसार रेलवे के नामित नोडल अधिकारी तो इस मामले में राज्यों से संवाद कर रहे हैं और ट्रेनों की जरूरत पर एक मोटा अनुमान पा रहे हैं लेकिन श्रमिक विशेष ट्रेनों की जरूरतों पर वस्तुनिष्ठ अनुमान पाना भी जरूरी है.
Posted By : arbind kumar mishra