आज विश्व साइकिल दिवस (world bicycle day 2020) है. महानगरों में रहनेवाले अधिकतर लोग फिटनेस के लिए साइकिल चलाते हैं और साइकिल को एक्सरसाइज की मशीन के तौर पर देखते हैं. लेकिन साइकिल आज भी छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में रहनेवाले लोगों की जीवन रेखा बनी हुई है. कोरोना संकट के इस दौर में 15 वर्षीय ज्योति कुमारी ने अपने बीमार पिता को साइकिल पर बिठा कर दिल्ली से दरभंगा की दूरी तय की और साहस की एक मिसाल बन कर दुनिया के सामने हैं. उत्तर भारत के कस्बों में लड़कियों ने जब साइकिल से स्कूल जाना शुरू किया, तो इसे एक बड़े सामाजिक बदलाव के तौर पर देखा गया.
छोटे कस्बों-गांवों में आज भी दूध और अखबार बांटने वाले, सब्जी बेचने वाले, गुब्बारे व हवा मिठाई बेचने वाले साइकिल से चलते हैं. देश भर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों के गेट से हजारों-हजार कामगार अपनी-अपनी साइकिलों से एक साथ निकलते हैं और शहरों की गलियों-मोहल्लों में गुम हो जाते हैं. महानगरों में सड़कें तेज रफ्तार कारों के लिए जितनी तेजी से चौड़ी हुईं, साइकिलों के चलने की जगह कम होती गयी, लेकिन साइकिल के दोनों पहिये फिर भी घूम रहे हैं आम लोगों की जिंदगी में और सिनेमाई परदे पर भी.
साइकिल का इतिहास
अठारहवीं शताब्दी में यूरोप में साइकिल का प्रचलन शुरू हुआ. हम आज चेन लगी साइकिल का जो मॉडल देखते हैं, उसका आविष्कार उन्नीसवीं सदी के अंत में हुआ था. सिनेमा की शुरुआत का समय भी लगभग यही है. दोनों चीजें साथ-साथ ही विकसित हो रही थीं. दोनों ने लोगों की कल्पनाओं को एकसाथ नयी उड़ान दी. साइकिल ने यूरोप में एक सांस्कृतिक क्रांति को जन्म दिया. सामाजिक बदलाव का एक माध्यम बनी साइकिल पर सिनेमा की कहानियां भी बनने लगीं.
हिंदी फिल्मों में साइकिल
ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों के दौर में कई फिल्मों की अदाकारा और उसकी सहेलियां साइकिल चलाती दिखती हैं. वर्ष 1959 में आई फिल्म ‘अनाड़ी’ में नूतन अपनी सहेलियों के साथ साइकिल पर ‘बनके पंछी गाये प्यार का तराना’ गीत गाती हुई चली जा रही हैं. ‘पड़ोसन’ फिल्म में सायराबानो ‘मैं चली-चली’ गीत साइकिल चलाते हुए गाती हैं. 1960 में आई फिल्म ‘अपना घर’ के गाने ‘भीगे-भीगे’ में नंदा, हीरो प्रेमनाथ के साथ साइकिल पर आगे बठी दिखती हैं, तो 1971 में बनी ‘तेरे मेरे सपने’ के गाने ‘मैंने कसम ली’ में मुमताज देवानंद के साथ. साइकिल को इस तरह परदे पर फिल्माये जाने का यह सिलसिला आज भी बरकरार है. ‘बर्फी’ फिल्म में इलियाना डिक्रूज रणवीर कपूर के साथ साइकिल पर आगे बैठे दिखीं, तो ‘सुई धागा’ में अनुष्का शर्मा वरुण धवन के साथ पीछे की सीट पर. आमिर खान अभिनीत ‘जो जीता वही सिंकदर’, तो याद ही होगी आपको. इस फिल्म की कहानी में उच्च वर्ग और मध्यवर्ग के किशोरों के बीच के संघर्ष में साइकिल की रेस भी एक अहम हिस्सा थी. आमिर खान ‘अकेले हम, अकेले तुम’ के गीत ‘तू मेरा दिल, तू मेरी जान’ और ‘पीके’ फिल्म में साइकिल चलाते दिखते हैं. अक्षय कुमार अपनी फिल्म ‘पैडमैन’ में साइकिल चलाते दिखे, शाहिद कपूर ‘जब वी मेट’ और ‘उड़ता पंजाब’ में. अनिल कपूर ने ‘1942 ए लवस्टोरी’ में साइकिल की सवारी की. ‘पीकू’ फिल्म में अमिताभ बच्चन और ‘बजरंगी भईजान’ में सलमान खान ने भी साइकिल चलाई. सलमान असल जिंदगी में भी खूब साइकिल चलाते हैं. फिल्म डियर जिंदगी में आलिया भट्ट और शाहरुख खान का साइकिल चलाने का बेहद खूबसूरत दृश्य है.
दुनिया भर में बनी हैं साइकिल पर फिल्में
दुनिया भर के फिल्मकारों ने साइकिल पर केंद्रित फिल्में बनायी हैं, लेकिन जब साइकिल पर बनी बेहतरीन फिल्मों की बात की जाती है, तो इटेलियन फिल्म ‘बाइसिकल थीव्ज’ का नाम सबसे पहले लिया जाता है. दुनिया की महानतम फिल्मों में शुमार इस फिल्म की कहानी एक साइकिल के खरीदे जाने, खो जाने और एक पिता व बेटे द्वारा जुनून की हद तक उसकी तलाश पर केंद्रित है. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 1948 में बनी ऑल टाइम क्लासिक इस फिल्म को फिल्मकार विटोरियो द सिका की ज़िंदगी की सबसे बेहतरीन फिल्म माना जाता है. फिल्म का नायक बेरोजगार है, घर में उसकी पत्नी और एक छोटा सा बच्चा है. नायक को बहुत मुश्किल से एक नौकरी मिलती है, वो भी इस शर्त पर कि उसके पास एक साइकिल होनी चाहिए. घर का कुछ सामान गिरवी रखकर वह साइकिल खरीदता है. एक दिन साइकिल चोरी हो जाती है और नायक अपने बेटे के साथ साइकिल की खोज शुरू करता है. प्रसिद्ध ब्रिटिश फिल्म पत्रिका ‘साइट एंड साउंड’ 1952 से हर दस साल में दुनिया की दस सबसे सर्वश्रेष्ठ फिल्मो का चयन करती है. वर्ष 1952 की दस सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की सूची में बाइसिकल थीव्ज सबसे ऊपर थी.
इसके अलावा कई भाषाओं में साइकिल पर केंद्रित कहानी को दर्शानेवाली फिल्में बनी हैं. इन फिल्मों के जिक्र शुरू होता है 1922 में बनी मूक फिल्म द व्हील्स ऑफ चांस से और साउदी अरेबियन फिल्म वादज्दा तक चला आता है. विश्व साइकिल दिवस, साइकिल पर बने सिनेमा की दुनिया में दाखिल होने का एक अच्छा समय है. कारोना के इस दौर में आप घर बैठे साइकिल पर केंद्रित ये फिल्में देख सकते हैं.
रिपोर्ट : प्रीति सिंह परिहार
posted by: Budhmani Minj