दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने 1999 में मॉडल जेसिका लाल की हत्या के दोषी मनु शर्मा की रिहाई की अनुमति दी. सेंटेंस रिव्यू बोर्ड (एसआरबी) की सिफारिश मिलने के बाद एलजी ने मनु शर्मा की रिहाई की अनुमति दी, और उनकी मंजूरी के बाद, शर्मा को तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया.
मनु शर्मा सहित 34 दोषियों की रिहाई के बारे में सात सदस्यीय एसआरबी ने फैसला किया था, जो सभी रिहाई के लिए पात्र हैं. बोर्ड की सिफारिश बैजल को भेजी गई थी.
जेल अधिकारियों ने कहा कि जेल के अंदर मनु शर्मा के काम ने उनके मामले को जारी करने में मदद की. वह एक गैर-सरकारी संगठन, सिद्धार्थ वशिष्ठ चैरिटेबल ट्रस्ट चलाता है, जिसने लगभग आठ साल पहले तिहाड़ में काम करना शुरू किया था, और इससे जेल के कैदियों के बच्चों की शिक्षा में मदद मिलती है.
ऐसे कम हुई मनु शर्मा की सजा
हत्या के आरोप में दोषी साबित हुए मनु शर्मा को उम्रकैद की सजा दी गई थी.मनु शर्मा के वकील अमित साहनी ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई की मनु शर्मा पिछले 12 सालों से जेल में है और अब उन्हें रिहाई मिलनी चाहिए. सेंटेंस रिव्यू बोर्ड (एसआरबी) की सिफारिश मिलने के बाद एलजी ने मनु शर्मा की रिहाई की अनुमति दी.
जानिए किस तरह के कैदियों की होती है रिहाई
आमतौर पर दुष्कर्म, हत्या, और लूट पाट और अतांक फैलाने के दौरान हत्या को अंजाम देने वाले दोषियों को सजा पाने के बाद उसके द्वारा जेल में बिताए गए वक्त को आधार मानकर, कैदी के रिहाई को शिफारिश कि जाती है.
कौन है मनु शर्मा
पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे, मनु शर्मा को मॉडल जेसिका लाल की हत्या के लिए 2006 में दोषी ठहराया गया था. उसने 30 अप्रैल, 1999 को उसे शराब देने के लिए मना कर दिया था, इस बात पर मनु शर्मा ने उसकी हत्या कर दी था.
ऐसे हुई थी जेसिका लाल की हत्या
मशहूर मॉडल जेसिका लाल की 30 अप्रैल, 1999 की रात दिल्ली के टैमरिंड कोर्ट रेस्टोरेंट में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मनु शर्मा अपने दोस्तों विकास यादव, अमरदीप गिल और आलोक खन्ना के साथ मिलकर इस रेस्टोरेंट में पार्टी में शामिल हुआ था. शराब मांगने पर बार में काम करने वाली जेसिका ने शराब परोसने से मना कर दिया था.
मनु शर्मी ने किया था सरेंडर
ठीक दो दिनों बाद मनु शर्मा की टाटा सफारी को दिल्ली पुलिस ने यूपी के नोएडा से बरामद किया. इसके बाद 6 मई 1999 को चंडीगढ़ की एक अदालत के सामने मनु शर्मा ने सरेंडर किया. इसके बाद यूपी के नेता डीपी यादव के बेटे विकास यादव सहित 10 सह अभियुक्तों की गिरफ्तारी भी हुई थी.
अगले साल यानी 31 जनवरी 2000 को मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस केस को सेशन कोर्ट को सुपुर्द किया था. नवंबर 2000 में सेशन कोर्ट ने हत्या के मामले में नौ लोगों के खिलाफ आरोप तय किया था, साथ ही एक आरोपी अमित झिंगन बरी और रविंदर उर्फ टीटू को भगोड़ा घोषित किया था.
मई 2001 में अभियोजन पक्ष के साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हुई
2 मई, 2001 को कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की थी. इसके बाद चश्मदीद गवाह दीपक भोजवानी ने गवाही दी. बाग में चश्मदीद गवाह श्यान मुंशी अपने बयान से मुकर गया था. इसके बाद कुतुब कोलोनेड का इलेक्ट्रिशियन एक अन्य चश्मदीद शिव दास भी अपने बयान से मुकर गया था. 16 मई, 2001 को तीसरा प्रमुख गवाह करन राजपूत भी अपने बयान से मुकरा था.
लोअर कोर्ट ने साक्ष्य के आभाव में नौ अभियुक्तों को बरी किया था
बाद में एक गवाह मालिनी रमानी ने मनु शर्मा की शिनाख्त की था. 12 अक्तूबर, 2001 को रेस्टोरेंट और बार मालकिन बीना रमानी ने भी मनु की शिनाख्त की थी.इसके बाद बीना के कनाडाई पति जार्ज मेलहोत ने गवाही दी और मनु शर्मा की शिनाख्त की थी..साल 2004 में विवादास्पद जांच अधिकारी सुरिंदर शर्मा ने गवाही दी थी. लोअर कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में सभी नौ अभियुक्तों को बरी किया था.
दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी
साल 2006 के 13 मार्च को दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में अपील दायर की. इसके बाद हाईकोर्ट ने इस अपील पर नियमित आधार पर सुनवाई शुरू की थी. 29 नवंबर, 2006 को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा. 18 दिसंबर, 2006 को हाईकोर्ट ने मनु शर्मा, विकास यादव और अमरदीप सिंह गिल उर्फ टोनी को दोषी करार दिया. साथ ही आलोक खन्ना, विकास गिल, हरविंदर सिंह चोपड़ा, राजा चोपड़ा, श्याम सुंदर शर्मा और योगराज सिंह बरी हो गए थे. 20 दिसंबर, 2006 को हाईकोर्ट ने मनु शर्मा को उम्रकैद की सजा सुनाई और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. सह अभियुक्त अमरदीप सिंह गिल और विकास यादव को चार साल की जेल की सजा और तीन हजार का जुर्माना लगा था.
सुप्रीम कोर्ट ने मनु शर्मा की उम्रकैद की सजा को रखा बरकरार
फरवरी 2007 को मनु शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने मनु शर्मा की अपील स्वीकारा था.साल 2007 के नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने मनु की जमानत की दलील खारिज की. मई 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से एक बार मनु शर्मा की जमानत याचिका फिर से खारिज की थी. 19 अप्रैल, 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने फिर से ने मनु शर्मा की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था.
जेसिका लाल की बहन ने फूंकी केस में जान
आरोपियों के बरी होने के बाद भी जेसिका का परिवार निराश नहीं हुआ. उसकी बहन ने नए सिरे से इस केस में जान फूंकने की कोशिश की. यह मामला मीडिया में उछला. उसके बाद तो जेसिका लाल मर्डर केस में इंसाफ के लिए दिल्ली क्या पूरा देश एक साथ आ गया. इस केस को दोबारा खोलना पड़ा. फास्टट्रैक कोर्ट में केस चला. उसके बाद जेसिका के हत्यारे मनु शर्मा को उम्र कैद की सजा सुनाई गई.
केस पर बनी फिल्म ‘नो वन किल्ड जेसिका’
2011 में जेसिका लाल मर्डर केस से प्रभावित होकर फिल्म ‘नो वन किल्ड जेसिका’ बनाई गई. इसमें फिल्म अभिनेत्री रानी मुखर्जी और विद्या बालान प्रमुख भूमिका थे. सच्ची घटना पर आधारित फिल्म नो वन किल्ड जेसिका ने बॉक्स ऑफिस पर भी खूब धमाल मचाया था. इसके अलावा फिल्म हल्ला बोल की कहानी भी जेसिका मर्डर केस से प्रभावित थी. दोनों फिल्मों में आम आदमी और मीडिया की ताकत को दर्शाया गया था.
Posted By : Shaurya Punj