आने वाले दिनों में भारत और नेपाल के बीच तनाव बढ सकता है. कारण ये कि नेपाल ने भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधूरा समेत 370 वर्ग किमी. क्षेत्र को अपने देश का हिस्सा बताते हुए तैयार किए गए नए राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शे को संवैधानिक मान्यता दे दी है. नेपाल के मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने इसके लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक को समर्थन देने का फैसला किया है. इससे अब इस विधेयक के दो-तिहाई बहुमत से पारित होने की उम्मीद है.
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इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार विपक्ष की सहमति के बाद अब संविधान संशोधन पर औपचारिक तौर पर दो तिहाई बहुमत हासिल करने के लिए इसे संसद में पेश किया जाएगा और इसका असर भारत-नेपाल संबंधों पर पड़ सकता है. हालांकि ये संविधान संशोधन संसद में कब पेश किया जाएगा इसकी अब तक कोई जानकारी नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ऐसा हो सकता है.
नेपाल ने ये नया नक्शा तब बनाया जब भारत ने मानसरोवर यात्रा के लिए उत्तराखंड में धारचुला से लिपुलेख दर्रे तक सड़क निर्माण किया. पहले तो नेपाल ने इस पर विरोध दर्ज किया और फिर अपना नया राजनीतिक नक्शा जारी कर दिया. इस दौरान नेपाल के प्रधानमंत्री ओली सहित कई अन्य मंत्रियों ने भारत विरोधी बयान भी दिये.
रिपोर्ट के मुातबिक, इस संविधान संशोधन के संसद में पास होने से राष्ट्रवादी और भारत विरोधी नेता होने की प्रधानमंत्री ओली की छवि को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही पार्टी के भीतर उनकी पकड़ और मज़बूत होगी. इस प्रस्ताव को पहले ही राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी, समाजवादी जनता पार्टी नेपाल, और राष्ट्रीय जनता पार्टी नेपाल का समर्थन हासिल है. लिपुलेख में भारत के सड़क के औपचारिक उद्घाटन का पहले विरोध न करने के लिए ओली पहले ही अपनी पार्टी के भीतर आलोचना झेल चुके हैं.
दरअसल छह महीने पहले भारत ने अपना नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था जिसमें जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख़ के रूप में दिखाया गया था. इस मैप में लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को भारत का हिस्सा बताया गया था. नेपाल इन इलाकों पर लंबे समय से अपना दावा जताता रहा है.नेपाल का कहना है कि महाकाली (शारदा) नदी का स्रोत दरअसल लिम्पियाधुरा ही है जो फिलहाल भारत के उत्तराखंड का हिस्सा है. भारत इससे इनकार करता रहा है.
हाल में भारत ने लिपुलेख से होकर मानसरोवर जाने के रास्ते में एक सड़क का उद्घाटन किया था जिससे नेपाल नाराज है.भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने पिछले हफ्ते कहा था कि नेपाल इस मामले पर भारत की स्थिति से अच्छी तरह परिचित है और हम नेपाल सरकार से इस तरह के अनुचित दावे से परहेज करने और भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का आग्रह करते हैं. इसी के साथ उन्होंने कहा था कि हमें उम्मीद है कि नेपाली नेतृत्व बकाया सीमा मुद्दों को हल करने के लिए राजनयिक बातचीत के लिए सकारात्मक माहौल बनाएगा.