गुमला : प्रवासी मजदूरों को गुमला लेकर लौटे शिक्षक अमोद शंकर की मौत हो गयी. गुमला प्रशासन ने उन्हें मजिस्ट्रेट बनाकर बड़काकाना भेजा था. शनिवार की शाम को वे मजदूरों को बस में बैठाकर बड़काकाना से गुमला लेकर आये थे. अचानक रात में तबीयत खराब हुई और अस्पताल पहुंचते ही रात करीब 11 बजे उनकी मौत हो गयी. पूरा मामला क्या है, पढ़े, गुमला से दुर्जय पासवान की रिपोर्ट…
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शिक्षक की मौत के बाद परिवार व गुमला के शिक्षकों की मांग पर स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना जांच के लिए अमोद शंकर का सैंपल लिया गया है. सैंपल लेने के बाद जांच के लिए इटकी आरोग्यशाला भेजा गया. इधर, अमोद की मौत के बाद गुमला के शिक्षकों में रोष है. शिक्षकों ने गुमला डीसी को ज्ञापन सौंपकर कोरोना संक्रमण के दौरान जितने भी शिक्षकों को ड्यूटी में लगाया गया है. उनकी सुरक्षा की मांग की है.
गुमला शहर के हरिओम कॉलोनी निवासी अमोद शंकर राजकीय उर्दू मध्य विद्यालय सिसई में सहायक शिक्षक हैं. गुमला प्रशासन ने 29 मई को उन्हें मजिस्ट्रेट नियुक्त कर बड़काकाना प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए बस लेकर भेजा था. 35 मजदूरों को बड़काकाना से लेकर अमोद शंकर 30 मई की शाम को गुमला लौटे थे. जिस बस में मजदूर बैठे थे. उसी बस में अमोद शंकर भी थे.
परिजनों ने बताया कि गुमला पहुंचने के बाद अमोद शंकर अपने घर गये और नहा धोकर तबीयत खराब होने की बात कहकर सो गये. रात करीब साढ़े सात बजे उन्हें उल्टी हुई और अकबकी लगने लगा. इसके बाद रात 10 बजे अमोद शंकर की स्थिति नाजुक हो गयी. परिजन तुरंत गुमला सदर अस्पताल लेकर गये. परंतु अस्पताल पहुंचते ही अमोद शंकर की मौत हो गयी. डॉ बीके महतो ने जांच के बाद शिक्षक को मृत घोषित कर दिया.
परिजनों के अनुसार शिक्षक अमोद पहले से शुगर पेसेंट थे. वे घर के बाहर का कोई चीज नहीं खाते थे. ड्यूटी में भी वे घर से टिफिन लेकर जाते थे. बड़काकाना जाने के क्रम में भी वे घर से टिफिन व पानी लेकर गये थे. बाहर की कोई चीज नहीं खाया था. डॉ बीके महतो ने कहा कि अमोद शंकर को जब अस्पताल लाया गया तो वे मृत थे. अगर 15-20 मिनट पहले लाया जाता तो उन्हें बचाया जा सकता था. संभावत: हार्ट अटैक से उनकी मौत हुई है.
Posted By: Amlesh Nandan Sinha