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Jharkhand: कल मारी थी गोली जिसे, CRPF जवानों ने खून देकर बचाई उस ‘नक्सली’ की जान

सीआरपीएफ के 2 कांस्टेबल ने उस घायल नक्सली की जिंदगी बचाई है जो कल तक इनके जान का प्यासा था.सीआरपीएफ के कांस्टेबल ओमप्रकाश यादव और संजीव कुमार ने मुठभेड़ में घायल नक्सली मुकेश हेसा को अपना खून दिया है.

चाईबासा: सीआरपीएफ जवानों ने अपने काम से साबित किया है कि वो लड़ाई के मैदान में केवल गोलियां बरसाना ही नहीं जानते बल्कि जब भी जरूरत पड़ती है, मानवता की रक्षा के लिये मिसालें भी पेश करते हैं.

सीआरपीएफ जवान मोर्चे पर दुश्मन के सीने में गोलियां दागना भी जानते हैं और जब वही दुश्मन जीवन और मौत के बीच झूलता हुआ जिंदगी की आस कर रहा हो तो उसे जीवन दान भी देना चाहते हैं.

CRPF जवानों ने दिया नक्सली को खून

ऐसा ही कुछ हुआ है झारखंड के चाईबासा में. यहां सीआरपीएफ के 2 कांस्टेबल ने उस घायल नक्सली की जिंदगी बचाई है जो कल तक इनके जान का प्यासा था. इन दोनों कांस्टेबलों ने घायल नक्सली को अपना खून देकर उसे नया जीवन दिया है. सीआरपीएफ के कांस्टेबल ओमप्रकाश यादव और संजीव कुमार ने मुठभेड़ में घायल नक्सली मुकेश हेसा को अपना खून दिया है.

28 मई की सुबह हुई थी भीषण मुठभेड़

बीते गुरुवार को पश्चिमी सिंहभूम में नक्सलियों की मौजदूगी की सूचना मिली थी. सूचना के आधार पर सीआरपीएफ जवानों और झारखंड पुलिस के जवानों की संयुक्त टीम ने तलाशी अभियान चलाया था.

28 मई की सुबह पश्चिमी सिंहभूम के मानबूरू और केनताई की पहाड़ियों में पीएलएफआई उग्रवादियों और जवानों के बीच मुठभेड़ हो गयी थी. करीब 1 घंटे तक चली गोलीबारी के बाद एक महिला नक्सली समेत 3 नक्सलियों की मौत हो गयी थी. जबकि एक नक्सली घायल हो गया था. घायल नक्सली को गिरफ्तार कर लिया गया था. उसका इलाज फिलहाल टाटानगर अस्पताल में किया जा रहा है.

मुठभेड़ के बाद जवानों को यहां से एके-47 थ्री नॉट थ्री कैलिबर राइफल मिली थी.

जवान ओमप्रकाशन कही ये बड़ी बात

घायल नक्सली को अपना खून देकर उसकी जिंदगी बचाने वाले जवान ओम प्रकाश यादव ने कहा कि ‘मैं जानता हूं कि इसने हमारे ऊपर बंदूक तानी थी. मैं ये भी जानता हूं कि हम लगातार उनके खिलाफ कॉम्बेट ऑपरेशन चला रहे हैं. लेकिन इन सबके ऊपर इंसानियत हैं’. ओमप्रकाश ने बताया कि वो पहले भी ऐसा कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि ‘किसी की जान बचाने से बेहतर कुछ नहीं हो सकता’.

कांस्टेबल संदीप ने भी दिया अपना खून

उनके साथी संदीप कुमार का भी यही कहना है. संदीप कहते हैं कि ‘हमने कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाया. लड़ाई के मैदान में दुश्मन की जान लेना हमारी ड्यूटी है राष्ट्र के लिये. लेकिन इंसानियत के नाते जान बचाना भी हमारी जिम्मेदारी है’. संदीप मूलरूप से झूनझून जिला राजस्थान के रहने वाले हैं. इन्होंने साल 2010 में सीआरपीएफ ज्वॉइन किया था.

जवान पहले भी दिखा चुके हैं दरियादिली

सीआरपीएफ जवानों की दरियादिली की ये पहली घटना नहीं है. अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ में जवानों ने ईनामी नक्सली बुदरा सोरी की मदद की थी. जवानों को सूचना मिली थी कि बुदरा का परिवार मुश्किल में है. उसकी मां को त्वचा रोग था. घर में ना तो राशन था और ना ही बर्तन. तब सीआरपीएफ जवानों ने राशन, बर्तन और दवाइयों सहित तमाम जरूरी चीजें बुदरा के परिवार तक पहुंचाई थी.

सीआरपीएफ के प्रवक्ता डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल मोसेस दिनाकरण ने कहा कि हम हमारे जवानों के इस काम से गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

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