नयी दिल्ली : नोवेल कोरोना वायरस के विभिन्न रूपों में परिवर्तित होने, सूंघ नहीं पाने जैसे असामान्य लक्षणों के अज्ञात कारणों और डेंगू की जांच में रोगियों के नमूनों की गलत रिपोर्ट जैसे कोविड-19 से जुड़े कुछ रहस्य हैं जो अभी तक अनसुलझे हैं. वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है. चीन के वुहान शहर में दिसंबर 2019 में नोवेल कोरोना वायरस के प्रकोप की शुरुआत से ही कोविड-19 को लेकर विभिन्न अध्ययनों में कई महत्वपूर्ण बातें सामने आई हैं और वैज्ञानिकों का मानना है कि कुछ महत्वपूर्ण रहस्यों को सुलझाने से बीमारी के प्रभावी उपचारात्मक तरीके मिल सकते है.
इस महामारी ने अभी तक पूरी दुनिया में 56 लाख से अधिक लोगों को संक्रमित किया है और 3,55,000 लोगों की अब तक इससे जान जा चुकी है. विषाणु विज्ञानी उपासना रे ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि नोवेल कोरोना वायरस से जुड़ा एक बड़ा रहस्य स्पाइक प्रोटीन में उत्परिवर्तन की दर को लेकर है.
कोलकाता स्थित सीएसआईआर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी की वरिष्ठ वैज्ञानिक उपासना ने कहा कि स्पाइक प्रोटीन वायरस को होस्ट सैल से जुड़ने और उसमें प्रवेश करने में मदद करता है. उपासना रे और उनकी टीम ने अपने अध्ययन में भारतीय रोगियों से लिये गये सार्स-सीओवी-2 के नमूनों में उत्परिवर्तन को देखा. अध्ययन की अभी विशेषज्ञ समीक्षा नहीं हुई है.
अनुसंधानकर्ताओं ने स्पाइक प्रोटीन के विशेष क्षेत्रों में मुड़ी हुई संरचनाएं देखीं जो उनके मुताबिक वायरस के होस्ट सैल से जुड़ाव को प्रभावित कर सकती हैं. उपासना ने कहा कि टीके संबंधी इंजीनियरिंग के लिए नोवेल कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन के अंदर हो रहे उत्परिवर्तन पर सावधानी से विचार होना चाहिए.
सार्स-सीओवी-2 से संबंधित एक और गुत्थी है कि वायरस संक्रमित रोगी की अन्य एंटीबॉडी के लिए की गयी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आ सकती है. लांसेट इन्फेक्शस डिसीजेस पत्रिका में मार्च में प्रकाशित एक अध्ययन में सिंगापुर के एक पुरुष और महिला के सीरम नमूनों में डेंगू की एंटीबॉडी जांच में प्रतिक्रिया देखी गयी जो बाद में कोविड-19 संक्रमित पाये गये थे.
हालांकि इन्हें मच्छरों के काटने से हुई किसी बीमारी का इतिहास नहीं था. सीएसआईआर-आईआईसीबी के विषाणु विज्ञानी सुभाजीत बिस्वास ने कहा कि इसका मतलब है कि दोनों की प्रतिरक्षा प्रणाली सार्स-सीओवी-2 संक्रमण पर उसी तरह काम कर रही है जिस तरह यह डेंगू पर करती.
एक मामले के आधार पर बिस्वास ने परिकल्पना प्रस्तुत की कि डेंगू के टीके से उन देशों में कुछ सुरक्षा मिल सकती है जो मच्छर जनित बीमारी से प्रभावित नहीं माने जाते. कोविड-19 के कुछ असामान्य लक्षणों के जीवविज्ञान के बारे में भी अभी तक सवालों के जवाब नहीं मिले हैं. इनमें से एक लक्षण है कुछ सूंघ नहीं पाना जिसकी शिकायत कई रोगियों ने की है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह लक्षण नाक की सूंघने वाली प्रणाली में वायरल ‘एंट्री गेट’ रिसेप्टर एसीई2 की मौजूदगी के कारण हो सकता है
Posted by : Mohan Singh