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आर्थिक सहयोग नहीं मिलने से गलियों में गुम हो गया साइकिल रेसर दिव्यांग जलालुद्दीन

कहते हैं प्रतिभा परिस्थितियों की मोहताज़ नहीं होती. लेकिन, कभी वक्त और हालात इतने मजबूर कर देते हैं कि ना चाहते भी सपनों से दूर होना पड़ता है. उन सपनों से दूर होने का ग़म हर पल दर्द देता रहता है. कोई कर भी क्या सकता है? जब सारे हालात प्रतिकूल हो जाए. ये कहानी नहीं हकीकत है दरभंगा के सिंहवाड़ा प्रखंड के टेकरार पंचायत निवासी दिव्यांग जलालुद्दीन की. वो चाहते थे कि देश के लिए साइक्लिंग में मेडल जीते. ये हो ना सका. और, आज जो हो रहा है उसकी कभी जलालुद्दीन ने कल्पना भी नहीं की थी. देखिए हमारी खास पेशकश.

कहते हैं प्रतिभा परिस्थितियों की मोहताज़ नहीं होती. लेकिन, कभी वक्त और हालात इतने मजबूर कर देते हैं कि ना चाहते भी सपनों से दूर होना पड़ता है. उन सपनों से दूर होने का ग़म हर पल दर्द देता रहता है. कोई कर भी क्या सकता है? जब सारे हालात प्रतिकूल हो जाए. ये कहानी नहीं हकीकत है दरभंगा के सिंहवाड़ा प्रखंड के टेकरार पंचायत निवासी दिव्यांग जलालुद्दीन की. वो चाहते थे कि देश के लिए साइकिलिंग में मेडल जीतें. ये हो ना सका. और, आज जो हो रहा है उसकी कभी जलालुद्दीन ने कल्पना भी नहीं की थी. देखिए हमारी खास पेशकश.

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