नयी दिल्ली : कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर पूरी दुनिया के सामने बेनकाब हो चुका चीन अब अपने ही घर में घिरता नजर आ रहा है. लद्दाख में भारत की घेरने की कोशिश में चीन को हांगकांग में तगड़ा झटका लगा है. मालूम हो चीन की सरकार ने पिछले दिनों राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को अपने संसद में पाश किया था, अब इसी कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है.
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हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों ने चीन के प्रस्तावित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का कड़ा विरोध किया है. आलोचकों ने इसे एक देश, दो व्यवस्थाओं की रूपरेखा के खिलाफ बताया है. इधर हांगकांग पुलिस ने चीन के प्रस्तावित सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के खिलाफ रविवार को सड़कों पर उतरे सैकड़ों लोगों पर आंसू गैस के गोले दागे. रविवार दोपहर को काले कपड़े पहने हुए प्रदर्शनकारी मशहूर शॉपिंग डिस्ट्रिक्ट कॉजवे बे में एकत्रित हुए और प्रस्तावित कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे. प्रदर्शनकारियों ने हांगकांग के साथ एकजुट’, ‘हांगकांग को आजाद करो’ और ‘हमारे दौर की क्रांति’ जैसे नारे लगाए. प्रदर्शन के दौरान प्रतिष्ठित कार्यकर्ता टैम टैक-ची को गिरफ्तार कर लिया गया.
हांगकांग के अंतिम ब्रितानी गवर्नर ने कहा है कि चीन ने अर्द्ध स्वायत्त क्षेत्र पर अपना नियंत्रण कड़ा करके उसे धोखा दिया है. उन्होंने कहा कि चीन ने वादा किया था कि हांगकांग में वह स्वतंत्रता रहेगी, जो चीनी मुख्यभूमि को नहीं दी गई है. हांगकांग के अंतिम ब्रितानी गवर्नर क्रिस पैटन ने ‘द टाइम्स ऑफ लंदन’ समाचार पत्र को दिए एक साक्षात्कार में कहा, हम नई चीनी तानाशाही देख रहे हैं.
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उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि हांगकांग के लोगों को चीन ने धोखा दिया है जिससे एक बार फिर यह साबित होता है कि आप उस पर और भरोसा नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि ब्रितानी सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि हम जो देख रहे हैं, वह संयुक्त घोषणा पत्र को पूर्णतय: नष्ट किए जाने के समान है. यह घोषणा पत्र एक वैध दस्तावेज है जिसके तहत पूर्व ब्रितानी उपनिवेश को चीन को 1997 में ‘एक देश, दो प्रणालियां’ ढांचे के तहत लौटाया गया था. यह हांगकांग को 2047 तक पश्चिमी शैली की आजादी और अपनी कानूनी प्रणाली प्रदान करता है. लेकिन प्राधिकारियों द्वारा शहर में लोकतंत्र के समर्थन में प्रदर्शनों को व्यापक स्तर पर दबाए जाने के बाद कई लोगों को इस बात की आशंका है कि चीन हांगकांग की स्वतंत्रता छीन रहा है.
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास पैंगोंग सो झील और गलवान घाटी में चीनी सेना तेजी से अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रही है और इसके जरिये यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि वह भारतीय सेना के साथ टकराव की स्थिति शीघ्र समाप्त करने के लिए तैयार नहीं है. विवादित क्षेत्र में स्थिति की जानकारी रखने वाले व्यक्तियों ने यह जानकारी दी.
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उन्होंने बताया कि चीनी पक्ष ने विशेष रूप से गलवान घाटी में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है और गत दो सप्ताह में लगभग सौ टेंट लगाए हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना की कड़ी आपत्ति के बावजूद चीन क्षेत्र में बंकर बनाने के लिए आवश्यक मशीनें ला रहा है. बढ़ते हुए तनाव के बीच भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने लेह स्थित 14वीं कोर के मुख्यालय का शुक्रवार को दौरा किया और सेना के उच्च अधिकारियों के साथ एलएसी के पास क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की.