पटना : केरल के अर्नाकुलम जिले में लगभग पांच सौ से अधिक बिहारी कामगार फंसे हुए है. छोटे स्तर के कारखानों में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों को अब तक कोई आने की सुविधा नहीं मिली है. चप्पल की फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों के पास अब खाने के भी लाले पड़ गये हैं. शनिवार को इन्हें प्रभात खबर से बात कर अपने स्थिति की जानकारी दी. अर्नाकुलम के कलूर असारन रोड स्थित एक चप्पल की फैक्ट्री में काम करने वाले इंद्रदेव दास ने बताया कि वो लखीसराय जिले के चानन प्रखंड के इटौन पंचायत के रहने वाले हैं. बीते पांच वर्ष से यहां काम कर रहे हैं. फैक्ट्री बंद हो जाने के कारण अब उनको घर लौटना है, लेकिन यहां से जाने की कोई सुविधा अब तक शुरू नहीं हो पायी है.
तीन सौ-चार सौ तक प्रतिदिन की मजदूरी
बेगूसराय के संतोष दास बताया कि यहां बिहार के लगभग पांच सौ से अधिक मजदूर काम करते हैं. यहां काम करने के अधिक पैसे नहीं मिलते. प्रतिदिन तीन से चार सौ रुपये की मजदूरी मिलती है. हम लोग इतने कम पैसे में यहां आकर कभी काम करने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन राज्य में प्रतिदिन का काम मिलना मुश्किल था. वहीं मुजफ्फरपुर जिले के सकरा ब्लॉक के रहने वाले मो सकील के अनुसार अब परिवार के साथ लोगों को पालना मुश्किल हो रहा है.
अर्नाकुलम से अभी नहीं शुरू हुई रेल सुविधा
इन कामगारों के साथ समस्या है कि प्राइवेट वाहन से आने के पैसे नहीं है. मार्च में ही कंपनी बंद होने और दो माह तक बगैर कमाई के रहने के बाद आर्थिक स्थित बेहद खराब हो गयी है. एक-एक छोटे से घर में पांच से छह लोग तक रहते हैं. वहीं अभी तक वापस आने के लिए अर्नाकुलम से श्रमिक ट्रेन की सुविधा नहीं हुई है. सभी परिवार के सामने के सामने भुखमरी की समस्या आ गयी है. कंपनी वालों ने वापस लौटने को कह दिया है. अब दोबारा फैक्ट्री भी शुरू नहीं होगी.