भागलपुर : नाथनगर दियारा दिलदारपुर की कुंती देवी ने प्रसव वेदना में तीन किमी पैदल चल कर सदर अस्पताल पहुंची, मगर अस्पताल ने इलाज भर्ती करने की बजाय उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया गया. दर्द से परेशान कुंती सदर अस्पताल से कुछ दूर ही चली थी कि उसका प्रसव हो गया. पेट से निकल कर बच्चा सीधे जमीन पर सिर के बल गिर गया. परिजन जैसे-तैसे कुंती को लेकर दोबारा सदर अस्पताल पहुंचे, जहां कुंती को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया, मगर नवजात मर चुका था.
कुंती का पति कोलकाता में मजदूरी करता है. लॉकडाउन के पहले वह घर आया था. उसकी बहन और मां कोलकता में ही है. शनिवार सुबह प्रसव वेदना होने के बाद यह अपनी चचेरी सास, चचेरी ननद और पति के साथ अस्पताल आयी थी. घटना सुबह चार बजे की है.अस्पताल से महिला डॉक्टर गायब, नर्स ने कर दिया रेफरकुंती के परिजनों ने बताया कि प्रसूता को लेकर जब अस्पताल आये, तो वहां डॉक्टर नहीं थे. नर्स ने प्रसूता को भर्ती कर इंतजार करने कहा. नर्स ने सामान्य प्रसव का प्रयास किया, लेकिन वह सफल नहीं हो सकी. प्रसव कक्ष से बाहर आने के बाद नर्स ने कहा कि बिना ऑपरेशन प्रसव नहीं हो सकता है.
यहां डॉक्टर अभी नहीं है. ऐसे में आप प्रसूता को लेकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल जाएं. हमें पैदल ही भेज दिया गया. हमने एबुलेंस की मांग किया, तो कहां गया अभी यहां कुछ भी नहीं है. जैसे जाना है जाओ. प्रसव वेदना से तड़प रही कुंती को लेकर निकले ही थे कि रजिस्ट्रेशन काउंटर के सामने बच्चे का जन्म हो गया. —तीन डॉक्टरों की थी ड्यूटी, नहीं किया फोनशनिवार रात सदर अस्पताल के ओटी में तीन डॉक्टरों डॉ अनुपमा, डॉ ज्योति कुमारी और डॉ अल्पना मित्रा की ड्यूटी थी. मरीज की हालत बेहद नाजुक थी. इसके बाद भी नर्स ने किसी डॉक्टर को कॉल नहीं किया. सवाल यह भी हैं कि अगर सदर अस्पताल के इन लोगों की रात्रि ड्यूटी लगी थी, तो तीनों अपने घर में क्यों थीं? सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार सिंह ने कहा कि मामले की जांच कराने के बाद दोषी के खिलाफ पर कार्रवाई की जायेगी.
और इधर, बीमार पिता को कंधे पर लेकर दुर्गम रास्तों पर चला बेटा
जगदीशपुर (भागलपुर) : नदी किनारे तंबू में क्वारेंटिन गोराडीह प्रखंड के सारथ गांव के कैंसर पीड़ित भूदेव मंडल के परिवार का डीएम ने संज्ञान लिया और बीडीओ को मदद-सीओ को मदद के लिए भेजा. दोनों अधिकारी गांव पहुंचे और सरकारी स्कूल को साफ कराया. बिस्तर लगवा कर पीड़ित के परिवार को क्वारेंटिन कराया. उसे खाने-पीने का भी इंतजाम किया गया, मगर उसे दोनों अधिकारी बिना किसी तैयारी के गांव पहुंचे. बीमार को नदी पार कर गांव कैसे लाया जाए, इसकी व्यवस्था नहीं की गयी थी. लिहाजा, बीमार व्यक्ति के छोटे पुत्र सोगींद्र मंडल ने पिता को कंधे पर उठा कर नदी, बांध और पगडंडियों के दुर्गम रास्तों पर चलते हुए गांव तक पहुंचा. इस दौरान पीड़ा से कराहते पिता को कंधे से उतारना पड़ा.