मुंबई : रिजर्व बैंक ने राज्यों को और संसाधन उपलब्ध कराने के लिये शुक्रवार को एकीकृत ऋण शोधन कोष (सिंकिंग फंड) से निकासी के नियमों में ढील दी. इससे राज्यों के पास 13,300 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी. राज्य सरकारें बकाया दायित्व एक निश्चित प्रतिशत एकीकृत ऋण शोधन कोष या सिंकिंग फंड में जमा करती हैं, जो रिजर्व बैंक के पास रहता हैं. यह कोष उनकी देनदारी के भुगतान के लिए एक बफर के रूप में होता है.
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आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी और राज्य सरकारों के वित्त पर दबाव को देखते हुए आरबीआई ने योजना की समीक्षा की तथा सिंकिंग फंड से निकासी नियमों में ढील देने का फैसला किया. साथ में, यह भी सुनिश्चित किया गया है कि कोष से निकासी युक्तिसंगत तरीके से हो. उन्होंने कहा कि इस कोष से राज्य बहुत हद तक चालू वित्त वर्ष में पूरे हो रहे बाजार उधारी को लौटा सकेंगे. नियमों में दी गयी ढील से राज्यों को 13,300 करोड़ रुपये मिलेंगे.
दास ने कहा कि सामान्य स्वीकार्य निकासी के साथ इस उपाय से राज्य कोष से पैसा निकालकर 2020-21 में लौटाये जाने वाले कर्ज का करीब 45 फीसदी पूरा कर पाएंगे. निकासी नियमों में बदलाव तत्काल प्रभाव से अमल में आ गया है और 31 मार्च 2021 तक वैध रहेगा. गवर्नर ने कहा कि कोविड-19 से निपटने को लकर संसाधनों की जरूरत बढ़ी है, जिसका आने वाले समय पर बाजार स्थिति पर प्रभाव देखने को मिल सकता है.उन्होंने कहा कि आरबीआई चीजों पर नजर रखेगा और केंद्र एवं राज्यों के उधारी कार्यक्रम के सुचारू क्रियान्वयन के लिए मदद करेगा.
बता दें कि आरबीआई ने पिछले महीने राज्यों के लिए अर्थोपाय अग्रिम (वेज एंड मीन्स) सीमा में 60 फीसदी बढ़ोतरी की थी. इससे पैसा जुटाने पर गौर कर रही राज्य सरकारों के लिये 12,000 करोड़ रुपये की गुंजाइश बनी है. इसके अलावा, केंद्रीय बैंक ने राज्यों के लिए लगातार ‘ओवरड्राफ्ट’ की सुविधा लेने के लिए उसकी अवधि 14 दिन से बढ़ाकर 21 दिन कर दी है. साथ ही, एक तिमाही में राज्यों के लिए ओवड्राफ्ट में रहने की अवधि 32 से बढ़ाकर 50 दिन कर दी थी.
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