पटना : विधान परिषद में शनिवार को मनोनयन कोटे के 12 सीटों का कार्यकाल खत्म हो जायेगा. इसके साथ ही 75 सदस्यीय उपरी सदन में एक तिहाई से अधिक कुल 29 सीटें खाली हो जायेंगी. ये ऐसी सीटें हैं, जिनके भरे जाने के लिए चुनाव आयोग की अनुमति की जरूरत नहीं होती. राज्य सरकार की सलाह से राज्यपाल 12 सदस्यों को मनोनीत करते हैं. सदन में इतनी सीटें खाली हो जाने के बाद बदली हुई तस्वीर में भाजपा 17 सदस्यों के साथ सदन की सबसे बड़ी पार्टी हो जायेगी.
सत्ताधारी दल जदयू के विधान परिषद में भाजपा से दो कम यानी 15 सदस्य होंगे. तीसरे नंबर पर राजद होगा, जिसके आठ सदस्य होंगे. सदन में कांग्रेस के दो, लोजपा व हम के एक-एक और दो निर्दलीय सदस्य होंगे. माकपा और भाकपा का सदन में पहले से ही कोई सदस्य नहीं रह गया है. मनोनयन कोटे से जिन सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, उनमें जदयू के प्रो रणवीर नंदन, विजय कुमार मिश्र, रामलखण राम रमण, राणा गंगेश्वर सिंह, जावेद इकबाल अंसारी, शिवप्रसन्न सिंह यादव, संजय कुमार सिंह, डाॅ रामबचन राय, ललन कुमार सर्राफ और रामचंद्र भारती के नाम हैं.
दो सीटें पूर्व से ही रिक्त हैं. इन सदस्यों का मनोनयन 2014 में किया गया था, जब प्रदेश में एनडीए में टूट हुई थी और जदयू और भाजपा अलग-अलग हो गयी थी. इसी महीने विधान परिषद की 17 सीटें और भी खाली हुई हैं. इनमें विधानसभा कोटे की नौ और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की चार व स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की चार सीटें शामिल हैं. सदन में अभी सभापति और उपसभापति के पद भी खाली हैं.