रांची : वैश्विक महामारी कोरोना वायरस और उग्रवाद को पराजित करने के लिए झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. बुधवार (20 मई, 2020) को हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने कोराना वायरस से पीड़ित लोगों के इलाज व उससे जुड़े खर्चों के लिए झारखंड आकस्मिकता निधि से 100 करोड़ एडवांस लेने की स्वीकृति दे दी.
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सरकार ने कई और महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी. इसमें विकास योजनाओं के लिए नाबार्ड से 333 करोड़ रुपये कर्ज लेने की स्वीकृति देने के अलावा छह जिलों में एक-एक आइटीआइ खोलने की स्वीकृति दे दी. कैबिनेट के फैसले के आलोक में रांची, खूंटी, रामगढ़, सिमडेगा, दुमका और गिरिडीह में ये आइटीआइ खोले जायेंगे. हर आइटीआइ की लागत 5.74 करोड़ रुपये होगी.
कैबिनेट ने जिन विकास योजनाओं के लिए नाबार्ड से कर्ज लेने की स्वीकृति दी है, उसमें 28 जल छाजन और छह पेयजल आपूर्ति योजनाएं हैं. कैबिनेट की बैठक में 28 जल छाजन योजनाओं के लिए नाबार्ड से 229.23 करोड़ रुपये कर्ज लेने की स्वीकृति दी गयी. इन योजनाओं को पांच साल में पूरा करना है.
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बैठक में पहले से जारी जल छाजन की 29 योजनाओं को पूरा करने की समय सीमा दो साल बढ़ा दी गयी. इन योजनाओं को फरवरी, 2016 में शुरू कर मार्च, 2020 में पूरा करने का लक्ष्य था. लेकिन, इन परियोजाओं को शुरू करने में ही दो साल की देर हुई. इसकी वजह से ये परियोजनाएं वर्ष 2018 में शुरू हुईं. देरी से शुरू होने की वजह से परियोजना का 26 प्रतिशत काम ही पूरा हो सका.
कैबिनेट ने छह ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाओं के लिए नाबार्ड से 104.68 करोड़ रुपये कर्ज लेने की स्वीकृति दी. इनमें से कपाली, चांडिल, निमिया, छतरपुर, पाटन और कनहारा में एक-एक योजनाएं क्रियान्वित की जायेंगी.
कैबिनेट ने 34.43 करोड़ रुपये की लागत से राज्य के छह जिलों में एक-एक आइटीआइ खोलने की स्वीकृति दी. कैबिनेट के फैसले के आलोक में रांची, खूंटी, रामगढ़, सिमडेगा, दुमका और गिरिडीह में एक-एक आइटीआइ खोला जायेगा. एक की लागत 5.74 करोड़ रुपये होगी.
आइटीआइ खोलने का उद्देश्य उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के युवकों को कौशल विकास से जोड़ना और राजगार उलब्ध कराना है. इस योजना में केंद्र सरकार 20.65 करोड़ और राज्य सरकार 13.78 करोड़ रुपये खर्च करेगी.
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