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कोरोना संकट के दौर में भारत से आयात के मुकाबले ज्यादा हो सकता है निर्यात, जानिए सरकारी के करंट अकाउंट में कितनी बची रहेगी रकम

कोरोना संकट के इस दौर में दुनिया भर में गिरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच देश के कारोबारी क्षेत्र के लिए एक राहत देने वाली खबर है और वह यह कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भारत में आयात के मुकाबले निर्यात अधिक होने की संभावना है.

मुंबई : कोरोना संकट के इस दौर में दुनिया भर में गिरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच देश के कारोबारी क्षेत्र के लिए एक राहत देने वाली खबर है और वह यह कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भारत में आयात के मुकाबले निर्यात अधिक होने की संभावना है. विदेशी ब्रोकरेज कंपनी बार्कलेज ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें यह कहा गया है कि भारत में कई साल के बाद निर्यात आयात के मुकाबले अधिक होगा, जिसकी वजह से सरकार के खजाने यानी चालू खाते में 20 अरब डॉलर या जीडीपी के 0.7 फीसदी के बराबर रकम बची रह सकती है. ब्रोकरेज कंपनी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अक्सर देश का चालू खाता घाटे में ही बना रहता है. हालांकि, पिछले वित्त वर्ष में चालू खाते में बची रकम वित्त वर्ष 2006-07 की पहली तिमाही के बराबर थी.

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ब्रोकरेज कंपनी बार्कलेज ने मंगलवार को कहा कि उस समय भी कारण कच्चे तेल का सस्ता होना था. वास्तव में, आर्थिक वृद्धि की बिगड़ती रफ्तार के साथ निर्यात-आयात व्यापार 2019 से संतुलित हो रहा था. देश भर में 25 मार्च से ‘लॉकडाउन’ (बंद) के बाद से निर्यात और आयात दोनों अप्रैल में अबतक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गये. रिपोर्ट के अनुसार, बंदरगाहों के लगभग पूरी तरह से बंद होने के कारण अप्रैल महीने में जहां निर्यात 60 फीसदी घटा, वहीं आयात में भी 59 फीसदी गिरावट दर्ज की गयी. इस कारण अप्रैल में व्यापार घाटा चार साल में सबसे कम रहा.

बार्कलेज का अनुमान है कि व्यापार घाटा नीचे बना रहेगा और 2020-21 में यह 103 अरब डॉलर या जीडीपी का 3.7 फीसदी रह सकता है. वहीं, 2019-20 में व्यापार घाटा देश के जीडीपी का 5.3 फीसदी था. वास्तव में, अर्थव्यवस्था की सुस्ती से निर्यात के साथ आयात भी नीचे आ रहा है. इससे 2018-19 की पहली छमाही से बाहरी मोर्चे पर स्थिति बेहतर हुई है. वित्त वर्ष 2018-19 में व्यापार घाटा 28 अरब डॉलर जबकि 2017-18 में 66 अरब डॉलर था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारे संकेतकों के अनुसार चालू खाते का घाटा पहली तिमाही में 3 अरब डॉलर रह सकता है. उसके बाद ‘अवांछनीय’ रूप से अधिशेष की स्थिति देखने को मिलेगी, जो कमजोर आर्थिक गतिविधियों को दर्शाएगा. इसको देखते हुए हमने चालू खाते के घाटे के मोर्चे पर अधिशेष की स्थिति का अनुमान जताया है और 2020-21 में 19.6 अरब डॉलर या जीडीपी का 0.7 प्रतिशत रह सकता है. यह पहले के 10 अरब डॉलर के अनुमान से लगभग दोगुना है.

बार्कलेज ने 2020-21 की दूसरी तिमाही में 8 अरब डॉलर के चालू खाते में 8 अरब डॉलर के अधिशेष का अनुमान जताया है. अगर ऐसा रहता है, तो यह वित्त वर्ष 2006-07 के बाद पहली बार होगा. इसे आवंछनीय अधिशेष कहे जाने के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिशेष का कारण कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए पूरी तरह ‘लॉकडाउन’ और कच्चे तेल के दाम में नरमी है. इस कारण निर्यात से अत्यधिक आय का होना नहीं है.

रिपोर्ट के अनुसार, कच्चे तेल के दाम में नरमी अर्थव्यवस्था के लिए अनुकूल है, लेकिन चालू खाता संतुलन पर बड़ा प्रभाव तेल एवं गैर-तेल अयात दोनों के लिए मांग में नरमी का होना है,लेकिन इसमें से कुछ लाभ महामारी के कारण सेवा निर्यात पर प्रतिकूल असर होने से प्रभावित होगा. इसका कारण अमेरिका और पश्चिम एशिया में कोरोना संकट के कारण स्थिति का खराब होना है. इसके अलावा, बाहर से जो पैसा भेजा जाता है, वह भी प्रभावित होगा.

रिपोर्ट में यह भी कहा कि मार्च से जो बड़े पैमाने पर पूंजी निकासी हो रही है, वह 2020-21 की दूसरी तिमाही में स्थिर हो सकती है, लेकिन इससे पूंजी खाते के अधिशेष पर हल्का प्रभाव पड़ेगा. बार्कलेज ने कहा, ‘हम इसके बाद भी 2020-21 में करीब 38 अरब डॉलर के भुगतान संतुलन अधिशेष की अपेक्षा कर रहे हैं.’

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