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जन्म लेते ही खतरनाक वायरस से हो रहा सामना

कोरोना की रफ्तार दिनाेंदिन बढ़ती जा रही है. इससे गर्भवती महिलाएं भी अछूती नहीं हैं. ऐसे में प्रसव के बाद जन्म लेनेवाले नवजात भी संक्रमित हो रहे हैं. उनका सामना जानलेवा वायरस से हो रहा है. एक ओर जहां राज्य में अब तक चार नवजात कोरोना से जंग जीत चुके हैं. वहीं, दूसरी ओर रिम्स के कोविड-19 अस्पताल में अभी भी तीन नवजात लड़ रहे हैं.

रांची : कोरोना की रफ्तार दिनाेंदिन बढ़ती जा रही है. इससे गर्भवती महिलाएं भी अछूती नहीं हैं. ऐसे में प्रसव के बाद जन्म लेनेवाले नवजात भी संक्रमित हो रहे हैं. उनका सामना जानलेवा वायरस से हो रहा है. एक ओर जहां राज्य में अब तक चार नवजात कोरोना से जंग जीत चुके हैं. वहीं, दूसरी ओर रिम्स के कोविड-19 अस्पताल में अभी भी तीन नवजात लड़ रहे हैं.

कोरोना पॉजिटिव मां के साथ नवजात को रखने के लिए रिम्स के डॉक्टरों ने डब्ल्यूएचओ व आइसीएमआर की गाइडलाइन का अध्ययन किया. फिर टास्क फोर्स के साथ बैठक कर नवजात को वार्ड में रखने का फैसला लिया गया. इस तरह मां के साथ रहकर सभी चार नवजातों का इलाज हुआ. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की मानें तो राज्य में नौ छोटे बच्चों काे भर्ती किया गया था. इनमें से आठ की छुट्टी हो गयी है. वर्तमान में एक बच्चा का इलाज चल रहा है. मां का दूध बना हथियार, हार रहा है कोरोना नवजात कोरोना से जंग जीत सकें इसके लिए मां का दूध हथियार बना है. डॉक्टरों की सलाह पर प्रसूता को स्तनपान कराने को कहा गया है, जिससे बच्चों में एंटीबॉडिज का निर्माण हो.

बच्चे मां का दूध पीकर कोरोना को हरा रहे हैं. इसके साथ ही घर भेजने से पहले नवजात बच्चों की जांच भी की जाती है. उनके लक्षण पर नजर रखी जाती है. केस स्टडी-1 हिंदपीढ़ी की महिला का प्रसव सात मई को रिम्स के लेबर रूम में हुआ. बच्चे का जन्म हुआ तो पता चला कि महिला कोरोना पॉजिटिव है. इसके बाद मां व नवजात को कोविड-19 अस्पताल में भर्ती किया गया. बच्चे का वजन 1.6 किलो था, जो निर्धारित वजन से बहुत कम है. बच्चे को फोटोथेरेपी भी दी जा रही है. वहीं वार्मर पर रखा गया है.महिला भी इसी वार्ड में है. इसलिए वह समय-समय पर स्तनपान भी कराती है.

इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि नवजात को बाहर का कुछ भी नहीं दिया जा सकता है. इसलिए मां का दूध ही उसके लिए पर्याप्त है. इससे बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी. केस स्टडी-2मांडर की रहनेवाली महिला का प्रसव 11 मई को हुआ था. उसने दो बच्चों को जन्म दिया था. जुड़वां बच्चों के साथ प्रसूता महिला वार्ड में तीन दिनों तक रही. इसके बाद वह मांडर अपने घर चली गयी. वहां जाने पर पता चला कि वह कोरोना पॉजिटिव है. इसके बाद दोनों बच्चों के साथ महिला कोविड-19 अस्पताल में भर्ती है.

महिला दोनों बच्चों को स्तनपान कराती है. बच्चों में मां के दूध से ही कोरोना से लड़ने की क्षमता आ गयी है. हालांकि महिला को एक साथ दो बच्चों को संभालने में दिक्कत हो रही है, इसलिए एक महिला परिजन को सहयोग के लिए वार्ड में सुरक्षा का पालन करते हुए जाने की अनुमति दी गयी है. केस स्टडी-3 अनगड़ा पंचायत के लालगढ़ की प्रसूता भी कोरोना पॉजिटिव पायी गयी है. प्रसव के अगले दिन 14 मई की रात को उसे नवजात के साथ कोविड-19 अस्पताल में भर्ती किया गया है. महिला के अनुसार उसने सोचा था कि प्रसव के बाद वह अनगड़ा पीएचसी से घर चली जायेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वह घर की बजाय अस्पताल में भर्ती है. नवजात भी कोरोना की लड़ाई अपनी मां के साथ लड़ रहा है. स्वस्थ होने के बाद ही मां के साथ नवजात को छुट्टी दी जायेगी.

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