हिन्दू धर्म में कुंडली को बहुत ही अधिक महत्व दिया गया है. बच्चे के जन्म के समय, शादी, नौकरी और उसके किसी अन्य कार्य के समय कुंडली का उपयोग किया जाता है. ज्योतिष के अनुसार हर व्यक्ति के जीवन में आने वाले भविष्य में सुख-दुख की जानकारी कुंडली से मिल जाती है. इंसान की कुंडली पर अगर कालसर्प दोष होता है तो उसके पूरे जीवन पर इसका असर पड़ता है. काल सर्प दोष होने से इंसान की परेशानी बढ़ जाती है. ज्योतिष शास्त्रों में कालसर्प दोष का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन आधुनिक ज्योतिष में इसे पर्याप्त स्थान दिया गया है, लेकिन विद्वानों की राय भी इस बारे में एक जैसी नहीं है. सूर्य, चंद्र और गुरु के साथ राहू के होने को कालसर्प दोष माना जाता है. राहू का अधिदेवता ‘काल’ है, और केतु का अधिदेवता ‘सर्प’ है. इन दोनों ग्रहों के बीच कुंडली में एक तरफ सभी ग्रह हों तो ‘कालसर्प’ दोष माना जाता हैं. कुंडली में काल सर्प दोष होने के कारण कुंडली में मौजूद शुभ ग्रह भी शुभ फल नहीं देते.
कुंडली में जब राहु और केतु आमने-सामने होते हैं तो सभी ग्रह एक तरफ रहते हैं, इसे ही काल सर्प दोष कहा जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के भावों में सारे ग्रह दाहिनी ओर हों तो यह कालसर्प योग नुकसानदायक नहीं होता. कालसर्प दोष के 12 प्रकार बताए गए हैं. अनंत, कुलिक, वासुकि, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक, कर्कोटक, शंखनाद, घातक, विषाक्त और शेषनाग. ऐसे होते हैं कालसर्प दोष के लक्षण कुंडली में कालसर्प दोष है तो व्यक्ति को राहू केतु और सांप के बुरे सपने दिखाई देते हैं. अगर आपको बार-बार मृत्यु के सपने आते हैं. बहुत अधिक मेहनत के बाद भी अगर आप सफल नहीं हो पा रहे हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को लगभग 42 साल या उतनी उम्र के बाद ही सफलता मिलती है. इस दौरन ऐसे व्यक्ति के स्वास्थ्य सही नहीं रहता है. जो भी काम करता है उसमें नुकसान होती है. विवाह से लेकर संतान सुख प्राप्त करने में भी बाधा आती है.
काल सर्प दोष के उपाय अगर आपकी कुंडली में काल सर्प दोष है तो नियमित रूप से भगवान विष्णु की उपासना करना चाहिए. शनिवार के दिन बहते हुए जल में कोयले के टुकड़ों को प्रवाहित करने से भी काल सर्प दोष दूर होता है. आप अपने ज्योतिष से मिलकर भी इसका उपाय निकाल सकते हैं. वैसे तो साल सर्प दोष वालों को गोमेद या फिर चांदी की धातु से बनी नाग की आकृति की अगूंठी धारण करना भी फायदेमंद होता है. फिर भी अपने ज्योतिष से पूछे बिना कोई धातु नहीं पहना चाहिए. राहु-केतु का जप और अनुष्ठान करवाने से भी ये दोष खत्म होता है.