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आम, लीची, केला, टमाटर व मक्के की प्रोसेसिंग से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

भागलपुर प्रक्षेत्र कृषि, बागवानी और सब्जी का बड़ा उत्पादक क्षेत्र है. यहां पर विभिन्न प्रकार के खाद्यान्न, फल और सब्जियाें की पैदावार होती है. खासकर आम, लीची, केला और सब्जी में टमाटर, परवल, फूल गोभी, पत्ता गोभी आदि, खाद्यान्न में मक्का, चावल व गेहूं का इस क्षेत्र में पूरा उपयोग नहीं होने के कारण दूसरे प्रांतों में सप्लाइ करना पड़ता है, जिससे यहां के किसानों का उत्पादन का सही दाम नहीं मिल पाता है.

भागलपुर : भागलपुर प्रक्षेत्र कृषि, बागवानी और सब्जी का बड़ा उत्पादक क्षेत्र है. यहां पर विभिन्न प्रकार के खाद्यान्न, फल और सब्जियाें की पैदावार होती है. खासकर आम, लीची, केला और सब्जी में टमाटर, परवल, फूल गोभी, पत्ता गोभी आदि, खाद्यान्न में मक्का, चावल व गेहूं का इस क्षेत्र में पूरा उपयोग नहीं होने के कारण दूसरे प्रांतों में सप्लाइ करना पड़ता है, जिससे यहां के किसानों का उत्पादन का सही दाम नहीं मिल पाता है. पिछले 10 वर्षों से भागलपुर के किसान, व्यापारी, उद्यमी व आम लोग मेगा फूड पार्क का सपना देख रहे हैं, ताकि भागलपुर औद्योगिक प्रक्षेत्र में रोजगार-धंधे के अवसर को बढ़ाया जाये.

लॉक डाउन के बाद वापस लौटे मजदूरों के हुनर का हो सकता है इस्तेमालआर्थिक पैकेज के हिस्से को भागलपुर में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को स्थापित करने में लगाया जये तो लॉक डाउन के बाद विभिन्न प्रदेशों से वापस लौटे मजदूरों के हुनर का इस्तेमाल इस उद्योग में किया जा सकता है. इससे रोजगार व धंधे का अवसर पैदा किया जा सकता है. बड़ी संख्या में हुनरमंद श्रमिक मिल जायेंगे और यहां का माल देशभर में सप्लाइ होगी. यहां के लोगों को यहां का तैयार माल सस्ते में उपलब्ध हो सकेगा. दूर होगी बेरोजगारी क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में उत्पादित टमाटर, भिंडी, परवल, फूल गोभी, बैंगन, लीची, आम, केला, मक्का, गेहूं, धान का उपयोग करने के लिए फूड प्रोसेसिंग कराने का उद्योग स्थापित किया जाये, तो भागलपुर की सूरत ही बदल जायेगी और कामकाजी महिलाओं को काम, युवाओं को रोजगार और किसानों को उनके उत्पादन का सही दाम मिलने लगेगा.

इतना ही नहीं रोजगार मिलने से अपराध पर भी नियंत्रण हो सकेगा.सरकार की उदासीनता के कारण नहीं खुल पा रहा है मेगा फूड पार्कइस्टर्न बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष अशोक भिवानीवाला ने कहा कि सरकार की उदासीनता के कारण ही यहां पर मेगा फूड पार्क की शुरुआत नहीं की जा सकी है. इस बजट में भी यहां के व्यवसायी वर्ग व किसान को आस थी, कि यहां पर मेगा फूड पार्क व इससे जुड़े उद्योग मिलेंगे. इस्टर्न बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के महासचिव आलोक अग्रवाल ने बताया कि उत्तर भागलपुर के बिहपुर, नवगछिया, गोपालपुर में केला व लीची एवं सुल्तानगंज, सबौर, कहलगांव, पीरपैंती, बिहपुर, नवगछिया, गोपालपुर, नाथनगर में आम का उत्पादन भारी मात्रा में होता है.

यदि इसका सदुपयोग करने के लिए फूड प्रोसेसिंग करायी जाती तो कृषि उत्पादकों को काफी लाभ मिलता.2012 में दो दिनों की हुई थी खाद्य प्रसंस्करण कार्यशालायूथ मोटिवेटर प्रदीप झुनझुनवाला ने कहा कि इस्टर्न बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन एवं बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के संयुक्त तत्वावधान में 2012 में 27 एवं 28 जनवरी को खाद्य प्रसंस्करण कार्यशाला हुई थी. इसमें फूड प्रोसेसिंग उद्योग स्थापित कराने की ही बात कही गयी थी. इसमें प्रदेश के तत्कालीन कृषि मंत्री व अन्य जनप्रतिनिधि ने हिस्सा लिया था. दिशा ग्रामीण विकास मंच के सचिव मनोज पांडेय ने बताया कि हैं कि नाबार्ड के एक सर्वे के अनुसार सबौर, कहलगांव, जगदीशपुर, नाथनगर, शाहकुंड, गोपालपुर, बिहपुर, इस्माइलपुर एवं रंगरा प्रखंड में कृषि और फल आधारित उद्योग के विकास की काफी संभावना है, लेकिन इस संभावना को धरातल पर उतारने के लिए गंभीर प्रयास नहीं हुए.

प्रसंस्करण योग्य फसल का अनुमानित उत्पादनराज्य सरकार के कृषि और बागवानी विभागों के आंकड़े बताते हैं कि भागलपुर जिले में सालाना 75 हजार हेक्टेयर भूमि में 80320 मैट्रिक टन आम, 510 हेक्टेयर में 3615 मैट्रिक टन लीची व 1540 हेक्टेयर भूमि में 51120 मैट्रिक टन केला का उत्पादन होता है. इसके अलावा जिले में 1 लाख 60 हजार मीट्रिक टन धान, 1 लाख 10 मीट्रिक टन मक्का, 58 हजार मीट्रिक टन गेहूं, 5 हजार मीट्रिक टन अमरूद, 1 लाख 60 हजार मीट्रिक टन आलू, 52 हजार मीट्रिक टन प्याज और 50 हजार मीट्रिक टन टमाटर की अनुमानित पैदावार भागलपुर में होती है. मेगा फूड पार्क के जरिये 30 से 35 औद्योगिक इकाई की संभावना थी. साथ ही यदि यह खुलता तो वार्षिक टर्न ओवर 450 से 500 करोड़ रुपये होता. किसानों को मूल्य संवर्धन का लाभ और बेरोजगार युवाओं व महिलाओं को रोजगार मिलता.

संग्रहण केंद्र, प्राथमिक प्रसंस्करण और केले से छाल से सूत तैयार करने का प्रयोग सफल नहीं हुआ.कब क्या हुए प्रयास – मई 2011 को भागलपुर में मेगा फूड पार्क लगाने की स्वीकृति केंद्र सरकार के खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने दी थी. – बिहार में फल आधारित उद्योग की स्थापना के लिए राज्य सरकार ने नोडल एजेंसी के रूप में आइएलएनएफएस कलस्टर डेवलपमेंट क्रियेटिव लिमिटेड को नियुक्त किया है. – कोलकाता के केवेंटर समूह ने मेगा फूड पार्क की स्थापना का बीड़ा उठाया था. इसमें बियानी समूह ने भी अपनी भागीदारी की बात कही थी. कहलगांव स्थित बियाडा की भूमि पर 180 करोड़ की लागत से मेगा फूड पार्क लगाया जाता. प्रदेश सरकार उन्हें बियाडा में 80 एकड़ भूमि पर कब्जा दिलाने में विफल रही. यह महत्वाकांक्षी योजना बिहार से उठ कर झारखंड चली गयी. इससे यह परियोजना नहीं लग सकी और इसका खामियाजा इस क्षेत्र के कृषि उत्पादकों को भी भुगतना पड़ा. 40 फीसदी तक बर्बाद हो रहे फल व सब्जीप्रदेश सरकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए 35 प्रतिशत तक पूंजी अनुदान देती रही है. इसके बाबजूद भागलपुर में ऐसे उद्योगों की स्थापना नहीं के बराबर हुई. रखरखाव के अभाव में 30 से 40 फीसदी तक फल-सब्जी समेत कृषि उत्पाद बर्बाद हो रहे हैं.

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