नयी दिल्ली : मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने सरकार के आर्थिक राहत पैकेज से मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंकाओं को दरकिनार करते हुए गुरुवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने गैर-जरूरी तथा ऐसे ही अन्य सामानों की मांग पर बुरा प्रभाव डाला है, जिसके कारण डिफ्लेशन (अपस्फीति)की स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं. उन्होंने कहा कि 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज के साथ एक अच्छी बात यह है कि इसे इस तरीके से तैयार गया है, जिससे राजकोषीय स्थिति नियंत्रण में रहेगी.
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित प्रोत्साहन पैकेज बाजार प्रणाली में नकदी डालकर मांग उत्पन्न करेगा जो अर्थव्यवस्था को ऊपर उठायेगा. सरकार ने कोरोना वायरस संकट से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है. इस पैकेज के लिए पैसे जुटाने के लिए सरकार ने पिछले सप्ताह ही बाजार से कर्ज उठाने की सीमा को बजट अनुमान से 54 प्रतिशत बढ़ा दिया है. कुछ अनुमान के हिसाब से बाजार से कर्ज लेने की सीमा को सरकार द्वारा बढ़ाये जाने से राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.8 प्रतिशत तक पहुंच सकता है.
बजट में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.5 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य तय किया गया था.सुब्रमण्यन ने प्रस्तावित संरचनात्मक सुधारों के बारे में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हाल के संबोधन में भूमि, श्रम, कानून और तरलता जैसे कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को छुआ. उन्होंने कहा, भूमि और श्रम वास्तव में ऐसे कारक हैं जो बाजार में सुधार करते हैं. ये ऐसे कारक हैं जिनमें वास्तव में कारोबार करने की लागत को प्रभावित करने की क्षमता है. हाल ही में राज्यों के स्तर पर इनमें बहुत सारे बदलाव देखने को मिले हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात ने मौलिक श्रम सुधारों की घोषणा की है.
अन्य राज्य भी ऐसा करने वाले हैं. कर्नाटक ने तो एक कदम और आगे बढ़कर कारोबार के लिए जमीन के अधिग्रहण के नियम को ही बदल दिया है. अब कर्नाटक में कंपनियां सीधे किसानों से जमीनें खरीद सकती हैं. अन्य राज्य भी इस पर अमल कर सकते हैं. आर्थिक वृद्धि पर उन्होंने कहा, भारत कोरोना वायरस महामारी के बाद धीमी चाल से वृद्धि के बजाय सीधे तेज वृद्धि के साथ वापसी करेगा. उन्होंने कहा, यह संभव है कि बहुत अधिक निराशावादी आकलन भी किये जा सकते हैं. मैं निर्णय लेते समय उस पूर्वाग्रह से अवगत होऊंगा. जब आप स्पेनिश फ्लू (1918) के बारे में किये गये शोधों को देखते हैं, जो कि कोरोना वायरस महामारी से अधिक भयावह था, तब भी सीधे तेज गति वाली (वी-शेप्ड) वापसी हुई थी.