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ब्रिटेन में सितंबर तक टला नीरव के भारत प्रत्यर्पण का मामला, जानिए कोर्ट ने मोदी से क्या कहा…

ब्रिटेन की अदालत ने हीरा कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण मामले पर सुनवाई सितंबर तक टाल दी है. मोदी भारत में करीब दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग मामले में वांछित है. अदालत अब इस मामले पर सुनवाई सात सितंबर से दोबारा शुरू करेगी.

लंदन : ब्रिटेन की अदालत ने हीरा कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण मामले पर सुनवाई सितंबर तक टाल दी है. मोदी भारत में करीब दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग मामले में वांछित है. अदालत अब इस मामले पर सुनवाई सात सितंबर से दोबारा शुरू करेगी. लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत के जिला जज सैमुअल गूजी ने 49 वर्षीय मोदी को दक्षिण-पश्चिम लंदन की वैंड्सवर्थ जेल से उनकी 28 दिन की रिमांड सुनवाई कॉल पर वीडियो लिंक के जरिये पेश होने की तारीख 11 जून तय की है.

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इस मामले पर चार दिन की आंशिक सुनवाई पूरी होने के बाद न्यायधीश ने मोदी से कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि सितंबर तक जेल से आवाजाही पर लागू अंकुश समाप्त हो जाएगा. उस समय आप व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर सुनवाई में शामिल हो सकते हैं. कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन की वजह से इस मामले में इस सप्ताह अंकुशों के बीच सुनवाई हुई.

मामले में पहले हिस्से के तौर पर मोदी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला स्थापित होने पर गौर किया जाएगा. हालांकि, अब इसकी समयसारिणी में भी बदलाव होगा, क्योंकि भारत सरकार ने बुधवार को इस मामले में और दस्तावेजों का सेट सौंपा है. न्यायधीश ने नये प्रमाणों को दाखिल कराने की अनुमति दे दी, लेकिन साथ ही इस बात पर भी सहमति जतायी कि मोदी की बचाव टीम को इसके आकलन के लिए अधिक समय चाहिए.

इसके पहले, धोखाधड़ी एवं मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से घिरे हीरा व्यापारी नीरव मोदी के खिलाफ प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई कर रही ब्रिटेन की अदालत ने एक वीडियो चलाया, जिसमें नीरव की कंपनियों से जुड़े तथाकथित ‘ सिर्फ नाम के निदेशकों’ ने कैमरे के सामने आरोप लगाया कि उन्हें चोरी के आरोपों में फंसाने और जान से मारने तक की धमकियां दी गयी थीं.

सीबीआई ने ‘सिर्फ नाम के इन निदेशकों’ का वीडियो ब्रिटेन की अदालत को सौंपा था. इस सप्ताह सुनवाई के दौरान लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में दिखाये गये इस वीडियो में छह भारतीयों को सुना जा सकता है. उनमें से हरेक ने दुबई छोड़ने और मिस्र के काहिरा जाने के लिए मजबूर करने के आरोप लगाये हैं. उनके अनुसार, वहां उनके पासपोर्ट जब्त कर लिये गये और नीरव के भाई नेहाल मोदी ने संदिग्ध कागजातों पर कथित रूप से उनकी मर्जी के खिलाफ हस्ताक्षर कराये.

जून 2018 को रिकॉर्ड किये गये वीडियो में एक व्यक्ति कह रहा है, ‘मेरा नाम आशीष कुमार मोहनभाई लाड है, मैं हांगकांग की सनशाइन जेम्स लिमिटेड और दुबई की यूनिटी ट्रेडिंग फजे का सिर्फ नाम का मालिक हूं.’ उसने कहा, ‘नीरव मोदी ने मुझे फोन किया और मुझसे कहा कि वह मुझे चोरी के मामले में फंसा देगा. उसने भद्दे शब्द इस्तेमाल किये. मुझसे कहा कि वह मुझे मरवा डालेगा.’

सीबीआई के अन्य गवाहों में रुषभ जेठवा, सोनू मेहता, श्रीधर मायेकर, नीलेश कुमार बलवंतराय मिस्त्री शामिल हैं. मेहता शारजाह की ‘एम्पायर जेम्स एफजेडई’, मेहता हांगकांग की ‘ऑरगेम कंपनी लिमिटेड’, मायेकर अजमान में ‘यूनीक डायमेंड एंड जूलरी’ और मिस्त्री दुबई की ‘हैमिल्टर प्रीशियस ट्रेडर्स लिमिटेड’ के ‘सिर्फ नाम के निदेशक’ हैं.

वीडियो में उन्हें हिंदी और गुजराती में यह कहते सुना सकता है कि वे यह इसलिए अपनी बात रिकॉर्ड कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपनी सुरक्षा का खतरा है और वे भारत वापस जाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें उनकी इच्छा के विरुद्ध रोक कर रखा गया है. जेठवा ने कहा, ‘हमने दस्तावेज पर इसलिए हस्ताक्षर किये, क्योंकि यदि हम ऐसा नहीं करते, तो वे हमारे पासपोर्ट वापस नहीं करते.’

ये गवाह प्रवर्तन निदेशालय के इस खुलासे से जुड़े हैं कि हांगकांग और दुबई में स्थित कई कंपनियों में सिर्फ नाम के निदेशक/मालिक/प्रबंधक नियुक्त किये गये हैं, लेकिन इन कंपनियों पर नीरव मोदी का सीधा नियंत्रण है. भारत में 49 वर्षीय नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक को धोखे से प्राप्त आश्वासन पत्रों या बैंक गारंटी के साथ ठगने और फिर छद्म कंपनियों के पेचीदगी भरे लेन-देन के माध्यम से इस रकम का शोधन करने का आरोप है.

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