पटना : प्रदेश में एमवीआइ की भारी कमी है. 13 वर्षों से नियुक्ति नहीं होने के कारण कई जिलों में उनके पद खाली पड़े हैं. नतीजा कई एमवीआइ पर एक से अधिक जिलों का प्रभार है और सब मिलाकर एक लाख से अधिक वाहनों के फिटनेस को परखने और उसे प्रमाणित करने का बोझ है. लेकिन अब अधिक दिनों तक यह स्थिति नहीं रहेगी. 90 एमवीआइ की नियुक्ति होने वाली है, जिसके लिए बीते सप्ताह बीपीएससी ने आवेदन प्रक्रिया भी शुरू की है. इससे व्यावसायिक गाड़ियों के फिटनेस जांच का सत्यापन बेहतर ढंग से हो सकेगा.तीन लाख व्यावसायिक वाहनों पर पटना में केवल दो एमवीआइपटना जिला परिवहन कार्यालय में तीन लाख व्यावसायिक वाहन पंजीकृत हैं.
इनमें बड़े और छोटे ट्रक और पिकअप वैन के साथ-साथ टैक्सी और बसें भी शामिल हैं. पर यहां केवल दो एमवीआइ पदस्थापित हैं. इनमें भी एक एमवीआइ केवल सरकारी वाहनों की फिटनेस जांच करते हैं और गैर सरकारी व्यावसायिक वाहनों की फिटनेस की देखरेख का पूरा जिम्मा केवल एक अधिकारी के ऊपर है. एमवीआइ के काम को हल्का बनाने के लिए फिटनेस सेंटर का प्रावधान किया गया है, जहां से गाड़ियां फिटनेस जांच करवा सकती हैं और ऐसे सेंटरों द्वारा दी गयी जांच रिपोर्ट पर काउंटर साइन कर एमवीआइ उन्हें मान्यता दे सकते हैं. लेकिन फिटनेस सेंटर की भी प्रदेश में कमी है.
सरकारी फिटनेस सेंटर नहीं हैं और जो प्राइवेट फिटनेस सेंटर चल रहे हैं, सुविधाओं की कमी के कारण उनमें से ज्यादातर की मान्यता खत्म हो चुकी है. ऐसे में एमवीआइ को यह सहायता भी नहीं मिल पा रही है और उनका काम बेहद कठिन हो गया है. पंजीकरण के दो साल बाद से हर साल कराना है फिटनेस जांच मोटर व्हेकिल कानून के प्रावधानों के अनुसार नये वाहन के पंजीकरण के दो साल पूरे होने के बाद से हर साल हर व्यावसायिक वाहन को फिटनेस जांच करानी है.
ऐसे में पटना में लगभग दो लाख निजी व्यावसायिक वाहनों को हर साल फिटनेस जांच कराना अनिवार्य है. यह अलग बात है कि सख्ती नहीं होने के कारण कुछ ही वाहन मालिक अपने वाहनों का हर साल फिटनेस जांच कराते हैं और ज्यादातर बिना फिटनेस के ही चल रहे हैं. इसके कारण अब तक फिटनेस जांच बड़ी समस्या बन कर नहीं उभरी है और एक एमवीआइ से ही काम चल जा रहा है.